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________________ जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? आते कथा में से महामंत्र लेकर जाप करते पुनित महाराज बन गये। इस मंत्र की सिद्धि खूब ही प्रसिद्ध हकीकत है। जैन शासन में नवकार महामंत्र अनोखा है। यह सर्वग्राही है। आज के युग में भी त्वरित फल प्रदान करता है और यह इसकी विशिष्टता है। इसमें श्रद्धा हो यही मुख्य नींव है। लेखक : श्री धर्मदेवभाई नानालाल नं. 9, देवलोक फ्लेट, पहला माला, रेल्वे पुल क्रोसिंग के पास, मणिनगर, अहमदाबाद - 8 श्री मंत्राधिराज को को वंदन हो! पाप वृत्ति से दूर रहने के लिए और मन को हर क्षण निर्मल रखने के लिए परमात्मा या नमस्कार महामंत्र का सतत स्मरण अनिवार्य है। क्योंकि मन को बन्दर की उपमा दी है। ब्रह्मांड में मन सबसे ज्यादा चंचल है। एक क्षण में यह करोड़ों योजन की दूरी तय कर लेता है। मन को वश में रखने हेतु और अशुभ विचारधारा में डूबने से बचाने हेतु इष्ट तत्त्व के स्मरण के अलावा कोई रामबाण इलाज नहीं है। यहाँ पर महामंगलकारी श्री नमस्कार महामंत्र के स्वानुभव के बारे में कुछ कहना है। इससे पहले मुझे जैन धर्म और अरिहंत परमात्मा के करीब लाने वाले उपकारी गुरु भगवन्तों का उल्लेख करना जरूरी है। कॉलेज जीवन में नास्तिकवाद और असंयमित आहार-विहार में फंसा में जैन धर्म और जैन साधु के बारे में एकदम नीरस था । 'धर्म अर्थात् रूढ़िवादिता, और क्रियाओं का क्या महत्त्व ? हृदय एवं मन साफ होना चाहिए, इतनी ही समझ थी और अपनी ही समझ से जीवन व्यतीत करता था। वालकेश्वर श्रीपालनगर में प. पू. पं. श्री चन्द्रशेखरविजयजी महाराज साहेब का चातुर्मास था। सवेरे छः बजे वाचना होती थी। पिताजी वहाँ 325
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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