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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेंगा क्या संसार? शील रक्षक श्री नवकार : (यहाँ प्रस्तुत पांच दृष्टान्त सं. 2046 में पौष-माघ महिने में डेढ़ महिने की हमारी राजकोट स्थिरता के दौरान नवकार महामंत्र के विशिष्ट साधक श्राद्धवर्य श्री शशिकान्तभाई महेता के पास से मिले। पांचो ही घटनाओं के नायक उनसे परिचित हैं। किन्तु नाम प्रकाशित करने की उनकी अनिच्छा के कारण यहाँ उन लोगों के नामोल्लेख नहीं किये गये हैं। शशिकान्तभाई के शब्दों में ही हम इन घटनाओं का आस्वादन करके महामंत्र के प्रति अपनी आस्था सुदृढ़तर बनायें -संपादक) राजकोट निवासी एक सुखी धार्मिक जैन परिवार शादी के प्रसंग पर मुम्बई गया। वे मुम्बई से राजकोट की ओर वापिस जीप में आ रहे थे। जीप में तीन बहिनें एवं एक भाई थे। वापी के पास जंगल में अचानक जीप खराब होने से बहिनें नीचे उतरकर लघुशंका निपटाने थोड़ी दूर गई। उतने में अचानक सशस्त्र लूटेरे वहां आ पहुंचे, और बन्दूक की नोंक पर कीमती आभूषणों का थैला छीन लिया। किन्तु इतने से उनको संतोष नहीं हुआ। बहिनों का रूप देखकर उनकी आंखों में विकार रूपी चोर आ बैठा। इसलिए उन्होंने उस भाई को जीप में से नीचे उतरने को कहा। वह भाई किंकर्तव्यमूढ बन गये थे। उतने में तीनों बहिनों ने एक साथ उस भाई को नवकार गिनने की प्रेरणा दी और वह भाई तथा तीनों बहिने बड़ी आवाज में तालबद्ध रूप से नवकार गिनने लगे। आपत्ति के कारण सहज रूप से नाभि की गहराई में से निकली महामंत्र की ध्वनि की कोई अकल्पनीय असर उन लूटेरों पर हुई और वे भयभीत होकर आभूषणों का थैला भी वहाँ छोड़कर भाग गये और सभी घोर आपत्ति में से महामंत्र के प्रभाव से आबाद रूप से बच गये। उससे वे सदा के लिए नवकार के अनन्य उपासक बन गये। "मौत मर गयी" मुम्बई के एक हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर के सगे भाई ने लन्दन में 285
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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