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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? गया। मुनि श्री की तबियत अच्छी हो गयी। लेखक:- पू. मुनि श्री प्रधानविजयजी म. " धोराजी" नवकार के पास मौत भागे मुझे एक बार नवकार मंत्र के प्रभाव का जोरदार परिचय हुआ था । उसका वर्णन निम्नलिखित है। मैं 1970 में 'एक्ष्पो सेवन्टी' देखने के लिए त्रिवेदी साहब आयोजित यात्रा में गया था। उसमें होंगकोंग, मलेशिया, पीनांग, कुआलालांपुर इन सभी स्थानों पर विमान में गये थे। वहाँ प्रत्येक स्थान से विमान में बैठने से पहले मैं तीन नवकार गिनकर बैठता था । हमको कोई भी तकलीफ नहीं हुई। किन्तु अन्त के प्रवास में सिंगापुर से कुआलालांपुर होकर मद्रास (चेन्नई) आना था। उस समय घर जाना था, और उस दिन बच्चे भी याद आये इसलिए मैं जल्दी में बिना नवकार गिने, विमान में बैठ गया। विमान उडा। घंटा-डेढ़ घंटा आकाश में व्यतीत किया, परन्तु डेन्जर लाइट ( खतरा बत्ती) बन्द नहीं होने से सभी के प्राण तलवे में आ गये। उसके बाद एक मिनट में विमान एक मंजिल जितना ऊपर जाता, तो दुसरे मिनट में 10 मंजिल जितना नीचे आता। मौत आंखों के सामने आ गयी थी। सभी की घबराहट शुरू हो गयी। मेरी पत्नी की घबराहट एवं चीख - चिल्लाहट चालु थी। उस समय मुझे नवकार मंत्र का स्मरण करने की अतः स्कुरणा हुई और यह प्रेरणा मैंने अपने सभी साथीदारों को कही। सभी श्रद्धा से नवकार मंत्र का स्मरण करने लगे। उसके बाद थोड़े समय में घोषणा हुई, "विमान वापिस लौट रहा है। " विमान एअरपोर्ट पर किसी कारण से नीचे नहीं उतर सकता था। सभी के प्राण हाथ में थे। बहुत मेहनत के बाद विमान सही सलामत नीचे उतरा और सभी के प्राण में प्राण आये। किन्तु उस समय सभी नवकार गिनते थे। ऐसे नवकार मंत्र तो बहुत ही शान्ति रखें तो भी गिने नहीं जाते। लीनता नहीं आती है। भय देखते ही जीव बाहर की दुनिया को भूलकर अन्दर में आ जाता है। उसका मुझे उस दिन अनुभव हुआ। लेखक:- जयंतिलाल हीमजीभाई गांधी, तेज प्रकाश ए, ब्लोक नं. 8, दत्तपाड़ा रोड़, रेल्वे फाटक के पास, बोरीवली (वेस्ट) मुम्बई 274
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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