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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? आगे और आगे मंत्र में डुबकी लगाने से बहुत ही मिला। अनेक ग्रन्थों का वांचन किया। मन को प्रतीति हुई कि मन शुद्ध करने की कला नवकार मंत्र में ही है। हम जन्मे तब से ही गहराई में उतरना सीखे ही नहीं हैं। जैसे, जैसे एकाग्रता आती है, वैसे-वैसे नवकार मंत्र पर भाव जाग्रत होते हैं। मेरे जीवन को नवकार मंत्र ने कितनी ही बार बचाया है। मैं अनेक आपत्तियों, विघ्नों में नवकार मंत्र के स्मरण से बच गई हूँ। मैं साधु जीवन में विहार, आक्रमण एवं विपत्ति में नवकार मंत्र के प्रभाव से जरूर कुशलक्षेम रही। इस प्रकार जीवन में नवकार मंत्र को प्राप्तकर, जानकर, उसकी अद्भुत आराधना-साधना, जाप-स्मरण किया है। मुझे प्राणघातक असाध्य रोग की ढाई दशक से जोरदार वेदना चालु है। जिसमें पेष्टिक अल्सर और आंतों के चार ऑपरेशन हुए हैं। मैं अंतिम ऑपरेशन के समय काफी घबराई । कारण? ऑपरेशन खतरनाक था। मुझे स्ट्रेचर पर डाला । कुछ होश था। मेरे हाथ की अंगुलियों की रेखाओं पर अंगूठा घुम रहा था। मेरे साथ की साध्वीजी ने कहा, "शाता ( कुशलता) में हो?" मैंने तुरंत हाथ बताया। मेरा ऑपरेशन सफल हुआ! एक माह अस्पताल में रहना था। उस दौरान में पूरा दिन जाप करती । असहय वेदना, गर्मी का समय, सात दिन तक पानी का बुंद भी पी नहीं सकी थी। ऐसे संयोगों में "नवकार मंत्र और उवसग्गहरं स्तोत्र" दूसरी ओर "लोगस्स सूत्र की माला और महापुरूषों एवं महासतियों के चरित्रों का चिंतन" यह त्रिवेणी संगम था। स्वाध्याय और मौन साथ-साथ ! अस्पताल से उपाश्रय आये । शारीरिक आराम के साथ वांचन, चिंतन जाप की हारमाला चालु थी। प्रत्येक बाबत में श्रद्धा से, एकाग्रता से नवकार मंत्र जीवन में घुलमिल गया है। इस प्रकार मंत्र पर सचोट आस्था बैठ गई। मैं चातुर्मास में नवकार की आराधना-जाप विशेष रखती हूँ। जेनशाला में "नवकार, उसका अर्थ और प्रभाव" इस विषय पर निबंध प्रतियोगिता वगैरह का आयोजन होता है। वैसे ही पुण्य प्रकाश का स्तवन 236
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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