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________________ --जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? मालिक जैन होने से चौविहार के लिए व्यवस्था की। वहां हमारे पहचान के सेवाभावी श्री कुमारपालभाई वी.शाह से मिलना था। किंतु वे तीन दिन के लिए आसपास के गांवों में गये हुए थे। इसलिए हम स्थानीय प्रमुख व्यक्तियों से मिलकर नुकसान वगैरह की जानकारी लेते थे। साथ में सत्संग भी चालु था। . हम लगभग रात्रि 9 बजे कमरे में बैठे थे। वहां बाहर कोलाहल हो रहा हो ऐसा लगा। इसलिए हमने कमरे का दरवाजा बंद किया। उतने में दो युवक बन्दूक तलवार के साथ कमरे के आगे से गुजरे। हमारे पास राहत सामग्री एवं 35000 रुपये नकद थे। हमें उसके कारण थोड़ी सी घबराहट लगी। किंतु हमारे साथ के भाई श्री देवराज गाला एवं श्री रमेश गाला ने एक चित्त से नवकार मंत्र की धून चालु की। थोड़ी ही देर में उस युवान ने दरवाजे के पास आकर उसे धक्का मारा अन्दर से कड़ी टूट गयी। किंतु दरवाजा नहीं खुला। शेष रहे सभी भाई भी धून में शामिल हो गये। पास के कमरे में धक्का मारते ही दरवाजा खुल गया। वहां से जो मिला वो लेकर होटल में ही एक कोने में बैठ गये। नवकार मंत्र की धून अखंड रूप से अपूर्व श्रद्धा के साथ चालु थी। हमें ग्यारह बजे जांच करने पर पता चला कि वे अभी तक होटल में ही हैं। आखिर 12-30. 1-00 बजे उनको नवकार के सामने झुकना पड़ा। वे होटल छोड़कर भाग गये। हमने लगभग तीन बजे धून पूरी की तब श्री देवराज गाला ने कहा कि, 'वह टोली तो अपने लिए बहुत उपकारी थी, जिसके कारण हमने जागृति एवं श्रद्धापूर्वक नवकार का स्मरण किया। फिर सवेरे तक धार्मिक चर्चाओं के साथ बहुत ही उपयोगी सत्संग हुआ, जो हमारे जैसों के लिए जीवन का "टर्निंग पॉइन्ट' साबित हुआ। नवकार मंत्र के अचिन्त्य प्रभाव का यह हमारा प्रत्यक्ष अनुभव अनेक आत्माओं के लिए धर्मश्रद्धावर्धक बनता रहे, यही परम तृपालु परमात्मा को अन्तर की प्रार्थना।। लेखक - श्री हसमुख भाई कपासी सायन-मुम्बई 233
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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