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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? करूंगा? सभी के सामने हँसी का पात्र बनना पड़ेगा। इतने में उस समय मुझे नवकार याद आ गया। मैं मेरे में रही संपूर्ण श्रद्धा को इकट्ठी करके उस बर्तन को हाथ में रखकर शुद्ध भाव से मन में नवकार का जाप करने लगा। और चमत्कार हुआ! प्रत्येक के हाथ में जाते ही थोड़ी देर में जो बर्तन एकदम गर्म होने लगता, वह मेरे हाथ में बहुत समय हो गया, किंतु ऐसे का ऐसा रहा। मुझे उस मदारी ने पूछा कि 'क्यों गर्म हुआ?' मैंने कहा, "नहीं, बिल्कुल ठंडा है।" उसे आश्चर्य हुआ कि यह कैसे? क्या बात है? क्या कमी है? ऐसा सोचकर बार-बार अपनी क्रिया करता है, किंतु नवकार मंत्र के प्रभाव से मुझे कुछ नहीं हुआ और मैंने तो पूर्ववत् बर्तन को हाथ में पकड़ रखा था। अब, उस मदारी से रहा नहीं गया। हजारों लोगों के बीच में उसका खेल गलत होने लगा। जिससे उसे क्रोध चढ़ गया। वह गरम होकर कहने लगा कि, "क्या तुम भी कोई मंत्र पढ़ रहे हो?" मैंने कहा कि, "मैं तो कुछ भी जादू नहीं जानता, न कोई मंत्र-तंत्र मेरे पास में है।" फिर तो उसका कुछ नहीं चला। लोग हंसते-हंसते चले गये। उस मदारी ने मुझे खूब पूछा कि, "भाई, सच कहो! तुम कुछ जानते हो? नहीं तो ऐसा हो ही नहीं सकता। मैंने जीवन में कई बार यह जादू बताया है, किंतु ऐसा कभी नहीं हुआ।" तब मैंने उसे नवकार मंत्र की बात की। उसे कहा कि, "मैं तो दूसरा कुछ नहीं जानता, किंतु यह हमारा परम चमत्कारी नवकार महामंत्र गिन रहा था।" महेसाणा में पं. श्री लालचन्दभाई ने इस प्रकार की हकीकत द्वारा स्वयं का स्वानुभव सुनाया। किंतु, मुझे तो लगा कि उस मदारी को कौन समझाए कि यह नवकार मंत्र तो जादू के उपर जादू करने वाला है। वास्तव में, जादूगर के खेल को धूल दिखलाने वाला नवकार मंत्र ही हो सकता है। नवकार मंत्र तो दिव्य जादूगर है। 211
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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