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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - कच्छ में छोटे गांव में रहने के कारण हमें प्रत्येक वस्तु लेने के लिए तथा आटा-चक्की नहीं होने के कारण अनाज पिसवाने पास के गांव में जाना पड़ता था। हमें कभी आस-पास के गांवों में अकेले भी आना-जाना पड़ता था। एक-एक कोस की दूरी पर दूसरे गांव होने के कारण आने-जाने में डर भी नहीं लगता था। मैं एक दिन दोपहर में मध्याह्न के समय पास के गांव में जा रही थी। मुझे वापिस आते समय ज्यादा सामान होने से बस का सहारा लेना था, जिसके लिए मैं दोपहर को रवाना हुई। रास्ते में एक बड़ा गहरा जलाशय आता था। अचानक मेरी नजर जलाशय के उस ओर गई। वहाँ सामने की ओर से कुत्ते जैसा कोई प्राणी तेज गति से आ रहा था। पहले तो मुझे लगा कुत्ता होगा। किंतु बाद में अचानक ख्याल आया कि लोग कहते हैं कि इस क्षेत्र में एक भगाड़ नाम का हिंसक प्राणी घुमता है और भेड़ एवं बकरों को परेशान करता है। मैं डरकर मन में नवकार मंत्र का स्मरण करती खड़ी रह गई। मैंने बारह नवकार गिनकर मन में संकल्प किया कि जो हिंसक जानवर हो तो यह रास्ता छोड़कर दूर चला जाए। मैंने नवकार मंत्र गिनकर पड़कार किया तो तुरंत ही सामने से आता प्राणी वापिस मुड़कर दक्षिण दिशा में किनारे की ओर चला गया। मैं पूर्व में जा रही थी। वह सामने आ रहा था। यदि हम दोनों सीधे-सीधे चलते रहते तो खाली जलाशय में आमने-सामने हो जाते। वहाँ किसी की आवाज भी सुनाई नहीं देती। ऐसी गंभीर परिस्थिति थी। किंतु मैं रास्ते में अकेले कहीं भी जाना हो तो नवकार मंत्र को रक्षक के रूप में रखकर नवकार गिनती-गिनती चलती जाती हूँ, ऐसी आदत हो गई है। जिससे इस हिंसक प्राणी पर अचानक मेरी नजर पड़ गई। वह सामने किनारे पर था और में इस किनारे पर थी। जिससे नवकार मंत्र के प्रभाव से मेरी रक्षा हो गई। इसी तरह दूसरे भी दो-तीन प्रकार के अनुभव हैं। वास्तव में अचिंत्य महिमा वाले नवकार मंत्र का प्रभाव ऐसे कलिकाल में भी अनुभव में आता है, यह अद्भुत है। लेखिका-अ.सौ.पानबाई रायशी हरशी गाला(कच्छ-चांगड़ाईवाले) मुकाम पोस्ट - लायजा (मोटा) तहसील- माण्डवी, कच्छ-गुजरात पिन : 370475 190
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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