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________________ जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? किंतु नमस्कार, महामंत्र के प्रताप से मेरे शरीर को एक पत्थर भी स्पर्श | नहीं कर सका। इस प्रकार मानव सृजित उपसर्ग-आपत्तियां भी श्री नवकार के प्रभाव से कुछ नहीं कर सकती हैं। इन सभी घटनाओं से मेरे हदय में श्री नवकार के प्रति अटल विश्वास पैदा हुआ। केवल श्री नवकार के जाप से कितनों के भूत-प्रेत, व्यंतरादि उपद्रव दूर होने की घटनाएं मेरे जीवन में घटित हुई हैं। सामान्य आपत्तियों का तो पता ही नहीं चलता, कहां भाग गईं। ऐसा महाप्रतापी श्री नवकार है। शर्त है केवल इसके आगे समर्पित होने की। आज तक नवकार ने किसी को छोड़ा नहीं और जो इसके प्रति पूर्ण समर्पित होते हैं, उन्हें कभी छोड़ेगा भी नहीं। लेखक - प.पू.आ.म.श्री. विजयअरिहंतसिद्धसूरीश्वरजी म.सा. नवकार मंत्र का प्रभाव (यहां पेश किये गये चार अर्वाचीन दृष्टान्त नवकार महामंत्र के उत्तम आराधक पू. पं. श्री अभयसागरजी म.सा. द्वारा सम्पादित "महामंत्र ना अजवाला" पुस्तक से साभार उद्धृत किये गये हैं - सम्पादक) छोटा सा गांव उसका संकड़ा मार्ग। लोकवर्ण के नाम से पहचानी जाती एक कौम के महात्मा का गांव में आगमन हुआ। उका भगत के नाम से प्रसिद्ध इन महात्मा के दर्शन करने हेतु आसपास के गांवों से इनके अनुयायी बड़ी संख्या में इकट्ठे हुए। सभी रास्ता रोककर बैठे थे। उका भगत के पैर स्पर्श करने की स्पर्धा चल रही थी। ' श्रीकांत को स्टेशन की तरफ जाने की त्वरा थी। उसे समय पर स्टेशन पहुँचकर, शहर की ओर जाने वाली गाड़ी पकड़नी थी। उसे रास्ता रोककर बैठे और खड़े रहे जनसमूह के बीच में से जाना था। वह दो हाथ जोड़कर स्वयं को मार्ग देने की विनति समूह को कर रहा था, किंतु मार्ग नहीं मिल रहा था। इतने में उका भगत की आवाज सुनाई दी - | 172
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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