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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? वास्तव में नवकार ने चमत्कार किया। रोग कहीं भाग गया। डॉक्टर आश्चर्य में पड़ गये। श्री नवकार ने मुझे नयाजीवन दिया। मैंने किए हुए संकल्प के अनुसार चारित्र लिया, जिसे आज 58 वर्ष होने आये हैं। देवी आपत्ति से बचाने वाला श्री नवकार एक बार विहार करते हुए हमारे साधु स्थंडिल भूमि पर गये। कौन जाने क्या हुआ? कोई कब्रिस्तान में या अन्य वैसे स्थल में पैर पड़ गया, अथवा दूसरा कुछ भी हुआ किंतु रात के 12 बजे और वे साधु रुदन करने लगे। उनसे कारण जानने का प्रयत्न किया, किंतु जवाब नहीं मिला। अंत में श्री आदीश्वर प्रभु का नाम बुलवाने का प्रयत्न किया। तब वे साधु "या अल्ला" ऐसा बोलने लगे, और फिर तो एक घंटे तक अंग्रेजी में भाषण देते ही रहे। मुझे लगा कि कोई दैवी उपद्रव है। जिससे उस साधु को पकड़कर उसके आगे श्री नमस्कार महामंत्र का जाप शुरू कर दिया, धीरे-धीरे जैसे जाप का बल बढ़ा, वैसे-वैसे वह दैवी प्रकोप कम होने लगा। बढ़ती श्रद्धा एवं धीरज से जाप चालु रखा कि घंटे में तो वह व्यंतर देव साधु का शरीर छोड़कर भाग गया। साधु तो अंग्रेजी पढ़े हुए नहीं थे, परंतु उनके अंदर रहे हुए व्यंतर देव ने ही यह सब नाटक किया था। परंतु श्री नवकार महामंत्र के दृढ़ विश्वासपूर्ण जाप के प्रताप से व्यंतर ऐसा अदृश्य हुआ कि उसके बाद उस साधु को कभी ऐसा उपद्रव नहीं हुआ। विषम विषहर श्री नवकार एक बार विहार करते-करते एक गांव में स्थिरता की। लोगों को विश्वास था कि जैन साधु जानकार होते हैं। इसलिए कभी-कभी जैनेतर भी उपाश्रय में आते थे। उन दिनों में ऐसा बना कि घास लेने के लिए जाती हुई किसी बहिन को सर्प ने दंश दिया। पहले तो सामान्य उपचार किये। किंतु 170
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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