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________________ जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? बड़ी करनी हैं, और श्रद्धा में गोल-मटोल चूड़ी जैसा शून्य, तो कैसे चले ? इसलिए श्रद्धा मजबूत बनाओ। अपनी श्रद्धा अस्थि मज्जा जैसी होनी चाहिये। रग-रग में, देव, गुरु और धर्म के प्रति अपना विश्वास होना चाहिये। ऐसी दृढ़ श्रद्धा और विश्वास से की गयी धर्म क्रिया का फल अवश्य मिलता है। पारसी भाई का प्रेरक पत्र श्रीमद् पू. आ. देव श्री लक्ष्मणसूरीश्वरजी म.सा. तथा शतावधानी पू. आ. श्री विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी को भाई सोराब दाराशा के प्रणाम होना जी। आपने मुझे जो प्रेम से तुम्हारा " प्रसंग परिमल" पुस्तक भाईजी ठाकोरभाई शाह के साथ भेजा, इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ। आपने एक सामान्य आदमी को भी बहुत ही प्रेम के साथ याद कर मेरे साथ बातचीत हुई उसे एवं उसका बोध, आपने मुझे समझाया था, उसका शब्दो - शब्द " एक पारसी भाई" नाम के शीर्षक से आपकी पुस्तक में छपाया है। मैं आपको मेरे थोड़े अनुभव आपके दिये हुए मंत्र " नमो अरिहंताणं" के लिए लिखता हूँ। जो पसंद आये वो लोग इसे साधारण मंत्र समझें या अवधूत मंत्र समझें परन्तु मेरे लिए तो एक आशीर्वाद है। यह मंत्र मैने आपके पास लिया था, उस समय आपने एक पुस्तक दी थी। वह मैंने पढ़ी किंतु उसमें से ऊपर का मंत्र ही मैंने मुखपाठ कर लिया था, इस पर मैं प्रतिदिन जाप करता आया हूँ। इसका असर मेरी पूर्णश्रद्धा के कारण कहो या आप साहेब की दुआ से कहो, मुझे तो इसमें हर प्रकार से फतेह मिली है। आशा करता हूँ कि जिन्दगी भर भी मिलती रहेगी। (1) मुझे बिच्छू उतारने का बहुत शौक है। किसी का बिच्छू का जहर चढ़ा हो, तब मैं यह मंत्र बोलकर 3 बार हाथ ऊपर से नीचे झटक लेता हूं। इस प्रकार तीन बार करने से चाहे जैसा कातिल बिच्छू नीचे डंक के स्थान पर आ जाता है। फिर पीड़ित व्यक्ति को हाथ की कोहनी से हाथ तक और पैर की कोहनी से लेकर पैर तक इस प्रकार धोने का 153
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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