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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? हुए हैं। गुजरात में त्यागी साधु - मुनिराजों का आवागमन अतिसुलभ है। एक प्रसिद्ध त्यागी गुरुदेव के व्याख्यान में एक मुसलमान नियमित हाजिर रहता था। व्याख्यान की शैली की अजीब छटा, रोचक शैली और प्रभावपूर्ण प्रवचनों ने मुसलमान के हृदय में गहरी छाप छोड़ी। तब वह मुसलमान गुरुदेव का पूर्ण भक्त बन गया। गुरुदेव ने उसे नवकार मंत्र सिखाया, और इस मंत्र की अजीब महिमा का भी साथ में वर्णन किया और कहा कि, 'इसके प्रभाव से मानव चाहे वह कार्य कर सकता है, विघ्नों एवं विपदाओं से मुक्ति पाता है, और सभी कामनाएं पूरी होती हैं, इसलिए हमेशा नवकार मंत्र का ध्यान करना, खूब जाप करना । 44 मुसलमान को जैन साधु से अथाह प्रीति थी। उनका वचन आदर | से स्वीकार कर लिया। नियमित रूप से वह मुसलमान नवकार गिनता है, उसकी श्रद्धा अटल है। वह समझता है और मानता है कि, मैं नवकार मंत्र के बल से चाहे जो कार्य कर सकता हूँ। एक बार एक श्रीमंत जैन गृहस्थ अपने बाल बच्चों आदि पूरे परिवार सहित बैलगाड़ी में बैठकर दूसरे गांव जा रहे थे। वह मुसलमान भी उसी रास्ते से जा रहा था। सेठ ने पानी साथ लिया था लेकिन थोड़ा होने के कारण समाप्त हो गया था। बच्चे रोने लगे - " पिताजी, पानी! पिताजी, पानी!" किंतु इस भयानक जंगल में पिता कहां से पानी लाये ? पिता ने चारों ओर नजर घुमाई, किंतु कहीं भी कुंआ, बावड़ी, तालाब नजर नहीं आया। पिता विचार में पड़ गये, 'क्या करना ? ऐसे घोर जंगल में से पानी कहां से लाना ?' उस मुसलमान ने सोचा कि सेठ को पानी की आवश्यकता है। इनके बच्चे पानी के लिए रो रहे हैं। तुरंत ही उसने सेठ से कहा, "सेठजी! जरा रुको, मैं पानी लाकर देता हूं।" 44 सेठ ने कहा, 'भाई ! हमने बहुत तलाश की है। यहां पानी नहीं है, तो तुम कहां से पानी लाओगे ? जाने दो। जल्दी आगे बढ़ें और घर पहुंच जायें। 150
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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