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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - स्थान-स्थान पर इसके प्रभाव के दर्शन कराने वाले अनेक दृष्टान्त भरे पड़े। हैं। किन्तु गिनने वालों में श्रद्धा होनी चाहिये। अधीर और अस्थिर भाव से गिनते हों, चित्त कहीं और भटकता हो, हदय बुरी भावनाओं के कचरे से भरा हो, वहां फल की आशा कैसे रखी जा सकती है? मलिन वासनाएं जहां वास करती हों, वहां ऐसा प्रभाविक मंत्र फलित नहीं होता है-यह स्वभाविक है। आज मनुष्य में श्रद्धा नहीं, विश्वास नहीं, गिनने के साथ वह परिणाम की मांग करता है। बस दुनिया के पौद्गलिक सुखों की आशा से ही नवकार गिनते हैं, तब उसका फल भी वैसा ही होगा। . नवकार मंत्र गिनने की अपने को फुर्सत नहीं मिलती, और अन्य मंत्र गिनने के लिए हम दो चार घंटे निकाल देते हैं। कभी गुरु महाराज पूछते हैं, 'क्यों भाई! नवकार गिनते हो न?' तब हम जवाब देते हैं कि, "साहेब! बहुत गिने, किंतु कुछ दिखाई नहीं देता।" ऐसी अनास्थायुक्त तो आपकी भावना है उसके ऊपर। प्रेम, श्रद्धा एवं विश्वासपूर्वक, चौदह पूर्व के सार रूप नवकार मंत्र के जाप में लयलीन बनो। उस समय दुनिया को | एकदम भूल जाओ। शास्त्रकार कहते हैं कि - 'नवकार इक अक्खरं, पावं फेडेई सत्त अयराणं। पन्नासं च पयेणं, पणसय सागर समग्गेणं।।' 'नवकार मंत्र का एक अक्षर बोलने से सात सागरोपम के पापों का विनाश होता है। नवकार मंत्र के एक पद का जाप करने से 50 सागरोपम और पूरे नवकार का जाप करने से 500 सागरोपम के पापों का विनाश होता है। एक चित्त होकर विधिसहित भाव से नौ लाख नवकार का जाप करने वाला जानवर या नरक गति में नहीं जाता है। नवकार मंत्र जैसा दुनिया में दूसरा कोई मंत्र नहीं है। ऐसे अपूर्व नवकार मंत्र को छोड़कर कौन दूसरे मंत्र-तंत्र में अनुरक्त होगा? इसलिए हे महानुभावों! परम मंगलकारी, आधि, व्याधि और उपाधि से बचाने वाले, सुख-समृद्धि-दातार, समग्र दुःख का विनाश करने वाले, 147
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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