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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - अभी तक एक दशक भी पूरा नहीं हुआ है। एक मुसलमान, जैन साधु के परिचय में आया। जैन साधु के त्याग का एवं उनकी असरकारक वाणी का उसके हदय पर कोई अजीब सा प्रभाव पड़ा। उसने मांस-मदिरा का त्याग किया, इतना ही नहीं, बल्कि त्यागी गुरु के पास से नवकार मंत्र भी सीखा। पवित्र और निर्मल बनकर वह उसका प्रतिदिन जप करने लगा। धीरे-धीरे नवकार मंत्र के ऊपर उसकी आस्था अत्यन्त मजबूत बनी। ऐसे पवित्र आचार-विचार से यह मुसलमान अपनी कौम में से अलग पड़ने लगा। दूसरे मुसलमानों को यह कैसे पसन्द आये? उन्होंने इस मुसलमान को बहुत-बहुत समझाया कि यह नाटक छोड़ दे, किन्तु वह श्रद्धालु मुसलमान अडिग रहा। वह अपने विचारों से जरा भी विचलित नहीं हुआ। इससे अन्य मुसलमान नाराज हुए और उनमें से एक मुसलमान ने उसे जान से मारने का निर्णय किया। उसके लिए टेढे-मेढे कई विचार करने के बाद उसने एक उपाय आजमाया। वह एक जहरीले सर्प को उठा ले आया और वह श्रद्धालु मुसलमान जहां हमेशा सोता था, वहां उसके बिस्तर के नीचे उस सर्प को इस प्रकार रखा कि भागकर न चला जाये। उस समय वह श्रद्धालु मुसलमान उपस्थित नहीं था। किंतु जब वह रात को वहां आया और सोने की तैयारी करके हमेशा के अनुसार नवकार मंत्र का स्मरण करने लगा, तब उसे अपने आप ऐसा आभास हुआ कि मेरे बिस्तर के नीचे सर्प है। इसलिए वह तुरन्त उठा और बिस्तर ऊँचा करके देखा तो सांप घबरा रहा था। उसी क्षण सांप वहां से भाग गया। इस श्रद्धालु मुसलमान ने गुरुदेव के मुख से नवकार मंत्र की अनोखी महिमा सुनी ही थी और यह घटना घटी। इससे उसके हदय में अनन्य श्रद्धा प्रकट हुई। इधर वह सर्प वहां से डरकर जिस मुसलमान ने इस सर्प को रखा था, उसी के घर सीधा चला गया और उसकी एक बेटी सो रही थी, उसे डंक मारा। लड़की की चीख से वहां शोर मच गया और चारों ओर से लोग दौड़े चले आये। लड़की का बाप वह 144
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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