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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? का जाप तो अवश्य ही करना चाहिये, ऐसा मेरा अनुभव कहता है। लेखक : श्री हसमुख माई सी. शाह ई. सीमला हाऊस, 203 ए, दूसरी मंजिल, ओफ नेपीअनसी रोड़, मुम्बई - 36 फोन नं. 8121348 पं. अभयसागरजी म.सा. के अजीब अनुभव आगम विशारद, सुविशुद्धसंयमी, पूज्यपाद पंन्यास प्रवर श्रीअभयसागरजी म.सा. वर्तमानकाल में नवकार मंत्र के उत्तम कोटि के साधकों में से एक थे। वे प्रतिदिन रात्रि में साढे ग्यारह बजे से डेढ़ बजे तक नवकार मंत्र की साधना करते थे। परिणाम स्वरूप उनको कई विशिष्ट प्रकार के अनुभव होते थे। उन्हें कई बार भविष्य में होनेवाली घटनाओं का पहले से पता चल जाता था। यहां उनके जीवन के थोड़े प्रसंगों को पेश कर रहा हैं, जो वाचकवृन्द की नवकार महामंत्र के प्रति अटूट श्रद्धा जगाने के लिए सहयोगी बनेंगे। भावी घटना का पूर्व संकेत ___ एक बार पूज्यश्री अपने पिता गुरुदेव उपाध्याय श्री धर्मसागरजी म.सा. आदि मुनिवृन्द के साथ कपड़वंज से बालासिनोर (पंचमहाल जिले में) होकर जा रहे थे। तब बालासिनोर में रात्रि में नवकार की साधना के दौरान पू. श्री को अंतः स्फुरणा हुई कि, "गोधरा जल उठेगा, इसलिए आगे का विहार रोक रक्खो।" उन्होंने यह बात अपने गुरुदेव को कही और वहीं टींबा गांव में रुक गये। वहां उनको समाचार मिला कि, "कौमी हुल्लड़ के कारण गोधरा में चारों ओर भयंकर आग की आतिशबाजी खेली जा रही है।" वास्तव में महामंत्र, माता अपने बालक का रक्षण करती है, उससे भी अधिक सावधानी पूर्वक साधक का सभी प्रकार से रक्षण करता है। जरुरत है, श्रद्धापूर्वक उसे समर्पित होने की! जरुरत है, नियमित रूप 140
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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