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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? पानी दिया। किन्तु मुझे उसकी स्थिति अच्छी नहीं लगी, इस कारण उसके नजदीक जाकर उसके कान में नवकार मंत्र सुनाना शुरु किया। नवकार के सुनते ही उसको शान्ति मिल रही है ऐसा मुझे लगा। मुझे देखकर उसकी आंखों में से आंसू झरने लगे। मैं उसे जाते-आते प्रेमपूर्वक सारा दिन नवकार सुनाती रही। मैंने शाम को फिर उसके पास बैठकर नवकार मंत्र चालु किया और गाय भी मानो श्रद्धापूर्वक एक नजर से मेरे सामने देखकर पीड़ा में भी प्रेम से सुनती गयी। मैंने उने सागारिक अनसन करवाकर सिद्धगिरि की शरण दिला दी। उसे उसकी यात्रा करने की प्रेरणा दी। अन्त में नवकार मंत्र सुनते हुए उसके प्राण पखेरु उड़ गये। प्रिय स्वजन की तरह मैंने उसे गड्ढे में दफना कर उस पर माटी एवं 5 किलो नमक डाला। मेरे पति छ: माह बाद अचानक बीमार पड़े। मैं रात में सोयी हुई थी। तब मुझे एकदम दिव्य प्रकाश दिखाई दिया। मैं पहले डर गयी। किन्तु नवकार का स्मरण करने से थोड़ी मजबूती आयी। मैंने हिम्मत करके पूछा "आप कौन हो? यह प्रकाश कैसा है? मुझे समझ में नहीं आता।" उतने में उस प्रकाशपुंज में से एक दिव्य आकृति पैदा हुई और कहा, "मुझे नहीं पहचाना? मैं तुम्हें मदद करने आयी हूँ।" यह कहकर गाय का रूप ले लिया और कहा कि, 'तुमने मुझे नवकार सुनाया, उसके प्रभाव से मैं देवी बनी हूँ!" मैंने कछ मांग नहीं की। फिर भी देवी ने कहाँ, "तेरे पति को कल सवेरे नौ बजे नीन्द लेने देना। वे स्वस्थ हो | जायेंगे।" ऐसा ही हुआ। वे सवेरे 9 बजे से शाम को 5 बजे तक नीन्द में | ही रहे। तबीयत अच्छी हो गयी। पति को भी श्रद्धा बैठ गयी। संवत् 2041 में पोष माह में पुनः देवी ने स्वप्न में कहा, "तुम्हारी सन्तान पर महाकष्ट आने वाला है, संभालना।" मैंने मेरे दोनों पुत्रों को दो दिन घर में ही रोका।. कॉलेज भी नहीं जाने दिया। दो दिन में अहमदाबाद से समाचार आया कि मेरी अहमदाबाद रहती पुत्री छप्पर के ऊपर से गिर गई. है। हालत गंभीर है। हम सभी अहमदाबाद गये। संकट 135
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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