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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? पूज्यपाद गुरु भगवन्तों की वाणी के प्रभाव से हदय में जैन शासन के प्रति बहुमान पैदा हुआ। जीवन में परिवर्तन की शुरुआत हुई। ___एक बार पू. मुनिराज (वर्तमान में पंन्यास) श्री चन्द्रशेखरविजयजी म. सा. ने शिविर में नवकार के प्रभाव का एक दृष्टान्त सुनाया। (यह दृष्टान्त विस्तार से जानने हेतु इसी पुस्तक में "श्रद्धा और मन्त्र की ताकत" पढ़ें) इसमें एक अन्यधर्मी भाई कोई जैन भाई को अपना धर्म महान है और कैसा चमत्कारिक है, यह बताने के लिए एक तांत्रिक के पास ले गया। इधर जैन भाई तान्त्रिक को देखते ही बिना श्रद्धा से केवल नवकार गिनते रहे। वे तान्त्रिक के पास गये थे चमत्कार देखने, परन्तु अपने जीवन में ही चमत्कार का सृजन हो गया। तान्त्रिक इस जैन भाई के शरीर में मैली विद्या को प्रवेश करवाना चाहता था। आखिर में वह तान्त्रिक हारकर जैन भाई से कहता है कि, 'तुम जो मन्त्र गिन रहे हो, उसके प्रभाव से मेरी शक्ति काम नहीं कर सकती।' इससे जैन भाई के जीवन में "टर्निग पॉइंट" आया। बिना श्रद्धा से गिना हुआ नवकार भी जो ऐसा चमत्कार बता सकता है, तो बहुमान पूर्वक और श्रद्धापूर्वक इसका जाप किया जाये तो क्या चमत्कार नहीं कर सकता है, यह सवाल है। "बावाजी का वशीकरण निष्फल गया" उपर्युक्त दृष्टान्त को पूज्य गुरु भगवन्त से सुने हुए एक सप्ताह ही बीता कि मेरे जीवन में ऐसा ही एक प्रसंग उपस्थित हुआ। सं. 2035 का साल था। मैं दोपहर के समय अपनी दुकान पर बैठा था। मेरे साथ दूसरे तीन लोग बैठे थे। इतने में एक अघोरी बावाजी को मैंने दुकान की ओर आते देखा। लगभग साढ़े छह फीट की लम्बाई, भरावदार चेहरा, लाल-लाल बड़ी आंखें, विशाल कपाल, सुदृढ़ काया, एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमंडलू, गले में रुद्राक्ष की माला। उसको देखते ही डर लगे, ऐसा दिख रहा था। बावाजी जैसे ही आकर खड़े हुए वैसे ही मुझे शिविर का उपर्युक्त दृष्टान्त याद आया। मैंने मन में नवकार गिनने का शुरु किया। मेरे पास बैठे भाई भी थोड़े अस्वस्थ हो गये। बावा 122
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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