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________________ जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? ऐसी घटना अभी तक चंबल ने देखी नहीं थी, और इस बार पुलिस का पंजा खतरनाक था। डाकुओं के कई रिश्तेदारों को पुलिस ने कंद कर लिया था। पल-पल डाकू पुलिस के सिकंजे में फंसते जाते थे। उत्तरप्रदेश की सीमा पर अडीग दिवार बनकर पुलिस खड़ी रह गयी थी। मध्यप्रदेश में डाकू भाग न सकें, इसलिए तो जमुना नदी की नाकाबंदी थी ही । पुलिस चाहती तो एक-एक करके कई डाकुओं को गिरफ्तार कर सकती थी। किन्तु ऐसा करने में अपहत युवाओं की जान को जोखिम में डालना था। ठाकुर और अन्य तीन युवक तो चंबल की रहस्यभरी घाटियों में छिपे हुए थे, किन्तु पल-पल खतरे के जो समाचार आ रहे थे, उससे ठाकुर अत्यन्त चिन्तामग्न था। हम सुरेश, नवीन एवं चीनुभाई, ठाकुर का हताश एवं भग्न हृदय देखकर बिगड़ती हुई परिस्थितियों को समझ गये थे, किन्तु हमें तो मुख्य चिन्ता राजेन्द्र की थी। एक डाकू आया, वह हार का संदेश लाया था। गोपी ठाकुर के पूरे कुटुम्ब - उसकी मां, पत्नी, बेटे और साले को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया था। अपहत युवाओं के लिए अपने को इतना बड़ा संकट सहना पड़ेगा, ऐसी ठाकुर को कल्पना भी नहीं थी । शान्ति मिशन की दौड़ भाग उसकी आंखों के सामने डोल रही थी । एक जमाने के जुल्मी डाकू सिलदारसिंह और लोकमन के जुल्म उसको याद आने लगे। उसे लगा, 'इन सभी का पाप क्या मुझे ही भुगतना पड़ेगा?' डाकू आसपास की प्रजा एवं गाँवों के विश्वास के सहारे से ही गुप्त रह सकते थे। प्रजा एवं किसान भी बारी-बारी से डाकुओं को समझाने लगे कि, "गोपी! अब मजा नहीं है ! युवकों को छोड़ दो, नहीं तो अनदेखा भी देखना पड़ेगा । " ठाकुर को बी.ए. पास डाकू पर बहुत गुस्सा आया। यदि छः तारीख को राजेन्द्र को भेज दिया होता तो आठ-नौ तारीख तक लाख रूपये हाथ में आ जाते, यह पुलिस का पहरा उठ गया होता। किन्तुं स्वयं लोभ की 84
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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