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________________ के बूट दिये। • जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? एक दिन बातों ही बातों में बात निकली। डाकुओं ने कहा, "तुम्हारे घरवालों को चार लाख रूपये फिरौती देकर तुम्हें मुक्त कराने की बात कही है। अब जो होगा वह सही । " तब हमने कहा 'हमारे परिवारजन एक लाख भी इकट्ठे करने की स्थिति में नहीं हैं।" तब डाकुओं ने कहा, "हमें बनाने की कोशिस रहने दो। तुम्हारे में से अकेले मफतलाल ही चार लाख रूपये देने में समर्थ हैं।" हमें लगा, " इनको कैसे समझाया जाये कि मुम्बई में कोई एक ही मफतलाल नहीं है, जो करोड़पति हो । एक बार हमने कहा कि, "तुम्हें छोड़ना हो, तब हमें छोड़ना किन्तु एक पत्र तो लिखने दो, जिससे हमारे मां-बाप को कुछ शान्ति मिले। | डाकुओं ने अन्तरदेशीय पत्र भी दिया। हमने उसे लिखा भी सही ! परन्तु वह पोस्ट नहीं हुआ। हमारे आगे ही उसे जलाया गया था। चंबल से बाहर की गतिविधियों की जानकारी रखने की इनकी चतुरता वास्तव में दिल को आश्चर्यचकित कर देती थी। एक दिन उन्होंने कहा कि, 'हमारी पकड़ में से तुम छूट नहीं पाओगे। तुम्हारे स्वजनों ने पुलिस थाने में शिकायत लिखाई है। विनोबा भावेवाले तुम्हें मुक्त कराने हेतु माथा-पच्ची कर रहे हैं, किन्तु यह तो चंबल की घाटी है। चाहे कितनी भी मेहनत करेंगे, हमारा पता भी नहीं जान पायेंगे। पांचवे दिन हम चलते चलते थक कर चूर हो गये थे। रसोई सामग्री में भरपूर सामान आया, जिससे हमें, हमारी मुक्ति के लिए दीर्घ अवधि का थोड़ा ख्याल आया। एक बार खीर खिलाते डाकुओं ने कहा " पैसे तो तुम्हारे बाप के है ना?" अब हम से रहा नहीं गया। एक ने कहा, " ठाकुर को पूछ के तो देखो! कितने में पटते (निपटते हैं? अपने प्रत्येक के मां-बाप 10-10 हजार निकाल सकने की क्षमता वाले हैं।" 79
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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