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________________ सत्तरसमो उद्देसो : सत्रहवां उद्देशक मूल हिन्दी अनुवाद संस्कृत छाया कोउहल्लपडिया-पदं कुतूहलप्रतिज्ञा-पदम् १. जे भिक्खू कोउहल्लपडियाए यो भिक्षुः कुतूहलप्रतिज्ञया अन्यतरां अण्णयरं तसपाणजाति तणपासएण त्रसप्राणजाति तृणपाशकेन वा वा मुंजपासएण वा कट्ठपासएण वा मुजपाशकेन वा काष्ठपाशकेन वा चम्मपासएण वा वेत्तपासएण वा चर्मपाशकेन वा वेत्रपाशकेन वा रज्जुपासएण वा सुत्तपासएण वा रज्जुपाशकेन वा सूत्रपाशकेन वा बंधति, बंधतं वा सातिज्जति॥ बध्नाति, बध्नन्तं वा स्वदते। कुतूहल-प्रतिज्ञा-पद १. जो भिक्षु कुतूहल की प्रतिज्ञा से किसी त्रसप्राणजाति (प्राणी) को तृण के बन्धन, मूंज के बन्धन, काठ के बन्धन, चर्म के बन्धन, बेंत के बन्धन, रज्जु के बन्धन अथवा सूत के बन्धन से बांधता है अथवा बांधने वाले का अनुमोदन करता है। २. जे भिक्खू कोउहल्लपडियाए यो भिक्षुः कुतूहलप्रतिज्ञया अन्यतरां अण्णयरं तसपाणजाति तणपासएण त्रसप्राणजाति तृणपाशकेन वा वा मुंजपासएण वा कट्टपासएण वा मुजपाशकेन वा काष्ठपाशकेन वा चम्मपासाएण वा वेत्तपासएण वा चर्मपाशकेन वा वेत्रपाशकेन वा रज्जुपासएण वा सुत्तपासएण वा रज्जुपाशकेन वा सूत्रपाशकेन वा बद्धं बद्धेल्लयं मुयति, मुयंतं वा मुञ्चति, मुञ्चन्तं वा स्वदते। सातिज्जति॥ २. जो भिक्षु कुतूहल की प्रतिज्ञा से तृण के बन्धन, मूंज के बन्धन, काठ के बन्धन, चर्म के बन्धन, बेंत के बन्धन, रज्जु के बन्धन अथवा सूत के बन्धन से बद्ध किसी त्रसप्राणजाति को मुक्त करता है अथवा मुक्त करने वाले का अनुमोदन करता है। ३. जे भिक्खू कोउहल्लपडियाए यो भिक्षुः कुतूहलप्रतिज्ञया तृणमालिकां ३. जो भिक्षु कुतूहल की प्रतिज्ञा से तणमालियं वा मुंजमालियं वा वा मुञ्जमालिकां वा वेत्रमालिकां वा तृणमालिका, मूंजमालिका, वेत्रमालिका, वेत्तमालियं वा भिंडमालियं वा 'भिंड'मालिकां वा मदनमालिकां वा भेंडमालिका, मदनमालिका, मयणमालियं वा पिच्छमालियं वा पिच्छमालिकां वा दंतमालिकां वा पिच्छमालिका, दंतमालिका, शृंगमालिका, दंतमालियं वा सिंगमालियं वा __ शृंगमालिकां वा शंखमालिकां वा शंखमालिका, अस्थिमालिका, संखमालियं वा हड्डमालियं वा 'हड्ड'मालिकां वा काष्ठमालिकां वा काष्ठमालिका, पत्रमालिका, पुष्पमालिका, कट्ठमालियं वा पत्तमालियं वा पत्रमालिकां वा पुष्पमालिकां वा । फलमालिका, बीजमालिका अथवा पुप्फमालियं वा फलमालियं वा ___ फलमालिकां वा बीजमालिकां वा हरितमालिका बनाता है अथवा बनाने वाले बीजमालियं वा हरियमालियं वा हरितमालिकां वा करोति, कुर्वन्तं वा का अनुमोदन करता है। करेति, करेंतं वा सातिज्जति॥ स्वदते। ४. जे भिक्खू कोउहल्लपडियाए यो भिक्षुः कुतूहलप्रतिज्ञया तृणमालिकां ४. जो भिक्षु कुतूहल की प्रतिज्ञा से तणमालियं वा मुंजमालियं वा वा मुञ्जमालिकां वा वेत्रमालिकां वा तृणमालिका, मूंजमालिका, वेत्रमालिका, वेत्तमालियं वा भिंडमालियं वा 'भिंड'मालिकां वा मदनमालिकां वा भेंडमालिका, मदनमालिका, मयणमालियं वा पिच्छमालियं वा पिच्छमालिकां वा दन्तमालिकां वा पिच्छमालिका, दंतमालिका, शृंगमालिका,
SR No.032459
Book TitleNisihajjhayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size16 MB
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