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________________ निसीहज्झयणं उद्देशक ५ : सूत्र ३५-४५ ३५. जे भिक्खू णवग-णिवेसंसि अयागरंसि वा तंबागरंसि वा तउआगरंसि वा सीसागरंसि वा हिरण्णागरंसि वा सुवण्णागरंसि वा वइरागरंसि वा अणुप्पविसित्ता असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेति, पडिग्गाहेंतं वा सातिज्जति॥ १०६ यो भिक्षुः नवकनिवेशे अय-आकरे वा ताम्राकरे वा त्रप्वाकरे वा सीसाकरे वा हिरण्याकरे वा सुवर्णाकरे वा वज्राकरे वा अनुप्रविश्य अशनं वा पानं वा खाद्यं वा स्वाद्यं वा प्रतिगृह्णाति, प्रतिगृह्णन्तं वा स्वदते । ३५. जो भिक्षु नवनिवेशित लोहे की खान, तांबे की खान, त्रपु की खान, शीशे की खान, चांदी की खान, सोने की खान अथवा वज्ररत्न की खान में अनुप्रविष्ट होकर अशन, पान, खाद्य अथवा स्वाद्य को ग्रहण करता है अथवा करने वाले का अनुमोदन करता वीणा-पदं ३६. जे भिक्खू मुह-वीणियं करेति, करेंतं वा सातिज्जति॥ वीणा-पदम् यो भिक्षुः मुखवीणिकां करोति, कुर्वन्तं वा स्वदते। वीणा-पद ३६. जो भिक्षु मुखवीनिका-मुख से शब्द करता है अथवा करने वाले का अनुमोदन करता ३७. जे भिक्खू दंत-वीणियं करेति, यो भिक्षुः दन्तवीणिकां करोति, कुर्वन्तं करेंतं वा सातिज्जति॥ वा स्वदते। ३७. जो भिक्षु दांत से शब्द करता है अथवा करने वाले का अनुमोदन करता है। ३८. जे भिक्खू उट्ठ-वीणियं करेति, यो भिक्षुः ओष्ठवीणिकां करोति, कुर्वन्तं करेंतं वा सातिज्जति॥ वा स्वदते। ३८. जो भिक्षु ओष्ठ से शब्द करता है अथवा करने वाले का अनुमोदन करता है। ३९. जे भिक्खू णासा-वीणियं करेति, यो भिक्षुः नासावीणिकां करोति, कुर्वन्तं करेंतं वा सातिज्जति॥ वा स्वदते। ३९. जो भिक्षु नासिका से शब्द करता है अथवा __ करने वाले का अनुमोदन करता है। ४०.जे भिक्खू कक्ख-वीणियं करेति, करेंतं वा सातिज्जति॥ यो भिक्षुः कक्षवीणिकां करोति, कुर्वन्तं वा स्वदते। ४०. जो भिक्षु कांख से शब्द करता है अथवा करने वाले का अनुमोदन करता है। ४१. जे भिक्खू हत्थ-वीणियं करेति, यो भिक्षुः हस्तवीणिकां करोति, कुर्वन्तं करेंतं वा सातिज्जति॥ वा स्वदते। ४१. जो भिक्षु हाथ से शब्द करता है अथवा करने वाले का अनुमोदन करता है। ४२. जे भिक्खू णह-वीणियं करेति, करेंतं वा सातिज्जति॥ यो भिक्षुः नखवीणिकां करोति, कुर्वन्तं वा स्वदते। ४२. जो भिक्षु नख से शब्द करता है अथवा करने वाले का अनुमोदन करता है। ४३. जे भिक्खू पत्त-वीणियं करेति, यो भिक्षुः पत्रवीणिकां करोति, कुर्वन्तं ४३. जो भिक्षु पत्र से शब्द करता है अथवा करेंतं वा सातिज्जति॥ वा स्वदते। करने वाले का अनुमोदन करता है। ४४. जे भिक्खू पुप्फ-वीणियं करेति, यो भिक्षुः पुष्पवीणिकां करोति, कुर्वन्तं करेंतं वा सातिज्जति॥ वा स्वदते। ४५. जे भिक्खू फल-वीणियं करेति, यो भिक्षुः फलवीणिकां करोति, कुर्वन्तं करेंतं वा सातिज्जति॥ वा स्वदते। ४४. जो भिक्षु पुष्प से शब्द करता है अथवा करने वाले का अनुमोदन करता है। ४५. जो भिक्षु फल से शब्द करता है अथवा करने वाले का अनुमोदन करता है।
SR No.032459
Book TitleNisihajjhayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size16 MB
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