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________________ ज्योतिष एवं गणित ३९७ - + इx च - (इ - १ + ग)च :- + ग + च - (इ -- १ + ग)च मु =८ सूत्र--चयधनके निकालनेका नियम पददलहदवेकपदावहरिदसंकलिदवित्तपरिमाणे । वेकपदद्धेण हिदं आदि सोहेज्ज तत्थ सेस चयं ।। २-८४ अर्थ-पदके अद्ध भागसे गुणित जो एक कम पद, उससे भाजित संकलित धनके प्रमाण मेंसे एक कम पदके अर्ध भागसे भाजित मुखको कम कर देनेपर शेष चयका प्रमाण होता है। गणित सूत्र-संकलितधन : (पद - १ : आदि : चय उदाहरण-संकलितधन ९६०४, गच्छ ४९, आदि ४ . ९६०४ + ( ४९ - १ + ४६ )-(४४४९-१) - ८ चय उपपत्ति(क) से स= {(ग- १)च+२मु = (ग- १) च + मुग पद-१ .:. (ग-१ मु .. च = स’ (ग- १) - मुग’ (ग- १) ३ = स’ (ग + १) 2 + मुग९ सूत्र--पद के निकालने का विधान चयदलहदसंकलिदं चयदलरहिदादि अद्धकदिजुत्तं । मूलं परिमूलूणं पचयद्धहिदम्मि तं तु पदमथवा ॥२-८५ अर्थ-चयके अर्धभागसे गुणित संकलित धनमें चयके अर्धभागसे रहित मुखके अर्धभागके वर्गको मिला देनेपर जो राशि उत्पन्न हो उसका वर्गमूल निकाले; पश्चात् उसमेंसे पूर्वमूलको-जिसके वर्गको संकलित धनमें जोड़ा था, घटाकर अवशिष्ट राशिमें चयके अर्धभाग का भाग देनेपर पदका प्रमाण निकलता है। गणित सूत्र-/' x संकलित धन) + ( (आदि - चय/२)२ . 2 - पूर्वमूल = पद चय
SR No.032458
Book TitleBharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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