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________________ ३७२ भारतीय संस्कृतिके विकासमें जैन वाङ्मयका अवदान ई० सन् १६२६ में हुई है । इसके वर्गमूल क्रियाके लिए वितत भिन्नका उपयोग किया है । यथा १/२८ = ५ +3+३+3+ +3+३+३........... उक्त आवर्त वितत भिन्न रूप है । ई० सन् १५७९ के विद्वान् राकेलो वाम्बोलीके बीज गणितमें भी इस भिन्नका निर्देश मिलता है । डेनियल-श्वीनटरने १५८५-१६३६ ई० में Geometrica Practica में इस भिन्नका उपयोग किण है। लार्ड ब्रानकरके निम्नलिखित समीकरणमें भी इस भिन्नका स्वरूप पाया जाता है इस समीकरणका आधार वालिस (wallis) का निम्न सिद्धांत है A ३३५५७७९९ h २४४६.६८८ ..... वालिसने पाटी गणितके नियमोंमें वितत भिन्नकी संसृतियां अंकित की हैं। वास्तवमें निस्सीम राशियोंके आन्यनके लिए इस भिन्नका उपयोग किया जाता है । क्षेत्रमिति सम्बन्धो अवधारणाएं क्षेत्रमिति या पाटोय ज्यामितिके सम्बन्धमें जैन लेखकोंकी अनेक मौलिक उद्भावनाएं मिलती है। षट् खण्डागमकी धवला टीकाके क्षेत्रानुगम, तियोयप'ण्णत्ति एवं त्रिलोकसार आदि ग्रन्थों में क्षेत्रमिति सम्बन्धी सिद्धांतोंका वर्णन आया है। ग्रीक सिद्धांतोंको अपेक्षा इन सिद्धांतोंमें कई विशेषताएं निहित हैं । ग्रीकोने भुज और कोणको अपेक्षासे त्रिभुजोंके छः भेद माने हैं, पर महावीराचार्यने गणितसार संग्रहमें केवल भुजाकी अपेक्षासे त्रिभुजके तीन ही भेद पाये जाते हैं । समकोणका गणित अवश्य है पर कोणापेश या त्रिभुजोंके भेद-प्रभेदोंका उल्लेख नहीं है । क्षेत्रफल दो प्रकारका बताया है-१. व्यावहारिक प्रयोजनोंकी सिद्धिके हेतु अनुमानतः फल प्रतिपादक और सूक्ष्म रूपसे शुद्धफल प्रतिपादक । त्रिभुजका क्षेत्रफल = स १ स२ = (स - ब) ४३ और ल-/अ-सर १ अथवा /ब-स२२ होता है स १. विशेष जाननेके लिए देखें-प्रो. श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन एम. एस. सी. द्वारा लिखित __"तिलोयपण्णत्ति गणित" प्रकाशक जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलपुर, सन् १९५८ ई०. २. क्षेत्रं जिनप्रणीतं फलाश्रयद्वयावदारिक सूक्ष्ममिति । भेदाद् द्विषा विचिन्त्य व्यवहार स्पष्टमेतदभिधास्ये ।। -गणितसार संग्रह, शोलापुर संस्करण क्षेत्र गणित प. २, पृ० १८१ ।
SR No.032458
Book TitleBharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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