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________________ 50 प्राकृत भाषा प्रबोधिनी जुवईओ पइदिणं अच्चन्ति - युवतियाँ प्रतिदिन पूजा करती हैं। नई सणिों बहइ - नदी धीरे बहती है। नईओ सणिअं बहन्ति नदियाँ धीरे बहती हैं। इमं णयरं अत्थि - यह नगर है। इमाणि णयराणि संति - ये नगर हैं। तं फलं अत्यि - वह फल है। ताणि फलाणि संति - वे फल हैं। द्वितीया विभक्ति-कर्म-को ते ममं पासन्ति - वे मुझको देखते हैं। ते अम्हे पासन्ति - वे हम सबको देखते हैं। तुमं तं पुच्छसि तुम उसको पूछते हो। तुमं ते पुच्छसि तुम उन सबको पूछते हो। पिऊ बालअं पालइ पिता बालक को पालता है। पिऊ बालआ पालइ पिता बालकों को पालता है। भूवई णरं बंधइ राजा मनुष्य को बांधता है। भूवई णरा बंधइ - राजा मनुष्यों को बांधता है। माआ बालं इच्छइ माता बालिका को चाहती है। माआ बालाओ पेसइ माता बालिकाओं को भेजती है। धूआ माअं नमइ पुत्री माता को नमन करती है। धूआ माआओ नमइ लड़की माताओं को नमन करती है। अहं पुफ पासामि मैं फूल को देखता हूँ। अहं फलाणि भुंजामि - मैं फलों को खाता हूँ। सेट्ठी घरं गच्छइ - सेठ घर को जाता है। सो घराणि पासइ - वह घरों को देखता है। __ तृतीया विभक्ति के द्वारा से अहं बालएण सह गच्छामि - मैं बालक के साथ जाता हूँ। अहं बालेहि सह गच्छामि - मैं बालकों के साथ जाता हूँ।
SR No.032454
Book TitlePrakrit Bhasha Prabodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangitpragnashreeji Samni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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