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________________ प्राकृत भाषा प्रबोधिनी 9 (सभी धार्मिक सम्प्रदाय ( एक दूसरे को सुनने वाले हों और कल्याण का कार्य करने वाले हों ।) सम्राट् अशोक के बाद लगभग ईसा की चौथी शताब्दी तक प्राकृत में शिलालेख लिखे जाते रहे हैं, जिनकी संख्या लगभग दो हजार है । खारवेल का हाथीगुंफा शिलालेख, उदयगिरि एवं खण्डगिरि के शिलालेख तथा आन्ध्र राजाओं के प्राकृत शिलालेख साहित्यिक और इतिहास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं । प्राकृत भाषा के कई रूप इनमें उपलब्ध हैं । खारवेल के शिलालेख में उपलब्ध नमो अरहंतानं नमो सवसिधानं पंक्ति में प्राकृत के नमस्कार मंत्र का प्राचीन रूप प्राप्त होता है । सरलीकरण की प्रवृत्ति का भी ज्ञान होता है । भारतवर्ष (भरधवस) शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख इसी शिलालेख की दशवीं पंक्ति में मिलता है । इस तरह प्राकृत के शिलालेख भारत के सांस्कृतिक इतिहास के लिए महत्त्वपूर्ण सामग्री प्रदान करते हैं । 3. निया प्राकृत प्राकृत भाषा का प्रयोग भारत के पड़ोसी प्रान्तों में भी बढ़ गया था । इस बात का पता निया प्रदेश (चीनी, तुर्किस्तान) से प्राप्त लेखों की भाषा से चलता है, जो प्राकृत भाषा से मिलती-जुलती है। निया प्राकृत का अध्ययन डॉ. सुकुमार सेन ने किया है, उनकी पुस्तक 'ए कम्पेरेटिव ग्रामर आफ मिडिल इण्डो-आर्यन' से ज्ञात होता है कि इन लेखों की प्राकृत भाषा का सम्बन्ध दरदी वर्ग की तोखारी भाषा के साथ है। अतः प्राकृत भाषा में इतनी लोच और सरलता है कि वह देश-विदेश की किसी की भाषा से अपना सम्बन्ध जोड़ सकती है । 4. प्राकृत धम्मपद की भाषा 1 पालि भाषा में लिखा हुआ धम्मपद प्रसिद्ध है । किन्तु प्राकृत भाषा में लिखा हुआ एक और धम्मपद भी प्राप्त हुआ है, जिसे बी. एम. बरुआ और एस. मित्रा ने सन् १६२१ में कलकत्ता से प्रकाशित किया है । (यह प्राकृत भारती के पुष्प -70 में सन् 1990 में प्रकाशित हो चुका है ।) यह खरोष्ठी लिपि में लिखा गया है। इसकी प्राकृत का सम्बन्ध पैशाची आदि प्राकृत से है । 5. अश्वघोष के नाटकों की प्राकृत आदि युग की प्राकृत भाषा का प्रतिनिधित्व लगभग प्रथम शताब्दी के नाटककार अश्वघोष के नाटकों की प्राकृत भाषा भी करती है । अर्धमागधी, शौरसेनी और मागधी प्राकृत की विशेषताएँ इन नाटकों से प्राप्त होती हैं। इससे यह ज्ञात होता
SR No.032454
Book TitlePrakrit Bhasha Prabodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangitpragnashreeji Samni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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