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________________ ३०८ कर्मप्रकृति १३. अनुभागबंध में अनुकृष्टि और तीव्रता-मंदता के संबन्ध को स्पष्ट करके निम्नलिखित प्रकृतियों की अनुकृष्टि तथा तीव्रता-मंदताप्ररूपणा कीजिये१. अशुभवर्णनवक, २. पराघात, ३. उच्चगोत्र, ४. नरकद्विक । १४. निम्नलिखित प्रकृतियों की उत्कृष्ट एवं जघन्य स्थिति बतलाइये-- १. पुरुषवेद, २. चतुर्थ संस्थान-संहनन, ३. तीर्थंकर नामकर्म, ४. सूक्ष्मत्रिक, ५. मनुष्यायु, ६. वैक्रियषट्क, ७. वर्णचतुष्क. ८. निद्रापंचक, ९. देवगतिद्विक । १५. जीवभेदों में स्थितिस्थानों का निरूपण कीजिये । १६. कर्मों के उत्कृष्ट अबाधाकाल का परिमाण जानने विषयक नियम का आशय स्पष्ट कीजिये। .. १७. एकेन्द्रियादि जीवों की अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट स्थितिबंध होने की प्रक्रिया का आशय स्पष्ट कीजिये। १८. जीवभेदों में स्थितिबंध के अल्पबहत्व का आशय स्पष्ट कीजिये। १९. स्थितिस्थानों में निषेकरचना के क्रम को स्पष्ट कीजिये । २०. संज्ञी-असंज्ञी पर्याप्त रहित शेष जीवभेदों का आयुव्यतिरक्त सात कर्मों में स्थितिबंध आदि का अल्पबहुत्व बतलाइये। २१. स्थितिबंध के अध्यवसायस्थानों के कितने अनुयोगद्वार हैं ? उनको संक्षेप में समझाइये। २२. रसयवमध्य से प्रकृतियों के स्थितिस्थानादिकों का अल्पबहत्व स्पष्ट कीजिये। २३. निम्नलिखित शब्दों की परिभाषायें लिखिये-- १. स्पर्धक, २. कंडक, ३. स्नेहप्रत्ययस्पर्धक, ४. अनुकृष्टि, ५. निवर्तनकंडक, ६. डायस्थिति, ७. अबाधाकंडक, ८. क्षुद्रकभव, ९. निषेक, १०. स्थान, ११. रसाविभाग, १२. कल्योजराशि, १३. अनन्तरोपनिधा।
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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