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________________ ४३ भिक्खु दृष्टांत जद ते बोल्यो - बूडी थारी कीमत, म्हारी तो जीव जावै छै । ज्यूं जीव खवायां परीणाम चोखा कहै, त्यांरी श्रद्धा खोटी । १०२. ऊ तौ अवसर उण वेळां इज भेषधारयां ठिकाण स्वामीजी पूछ्यौ -थे कितरी मूरत्यां छौ । जद उणां कह्यौ --हे इतरी मूरत्यां छा । स्वामीजी ठिकाणं पधारघां पछै उणां ने किणहि कौ - थाने तो भीखणजी भगत कीधा । जद ऊ भेषधारी स्वामीजी कनै आय पूछ्यौ -थे कितरी मूरत्यां छौ । जद स्वामीजी बोल्या- -ऊ तौ अवसर उण वेळां इज थो म्हे तौ इतरा साध छां । १०३. भीखणजी थे इ मांजो स्वामीजी घर मै थकां दिशा गया । तिहां सोजत रा महाजन रौ साथ थयौ । पाछा आया जद ते तौ लोटीयां ने बार-बार मांज, काचा पाणी सूं art at | अन बोल्यौ - भीखणजी थे इ मांजौ । 1 जद स्वामीजी बोल्या - हूं तो लोटीया मै न गयो, हूं तौ दिशा दूर गयौ । जद ऊ बोल्यो - हूं किसौ लोटीया में गयौ । जद स्वामीजी बोल्या - तौ इतरौ क्यूं मांजो ? जद ते बोल्यो - लोटीयो कनै हूंतो । स्वामीजी बोल्या - थांरौ मूंहढौ माथौ पिण कनै हूंतो इणने रगड़ो के नहीं ? १०४. थाली भांगी नहीं भेषधारी कहै - भीखणजी घर मै थकां भाई-भाई न्यारा हुवा, जद ऊखळ मैं घाल थाळी भांग नें आधो आध कीधी । fort प्रश्न हेमजी स्वामी पूछ्यौ - घर में थकां थाळी भांगी कहै सो बात साची के झूठी ? जद स्वामीजी वोल्यां—इसा म्हे भोळा नहीं सो पैहलांई रुपीया रो पूण करां । म्हे तो औ काम नहीं कीयौ । अनै अमुक संप्रदाय रै आचारज रा गुरु तौ घर में थकां ऊंट हीज मार्यो । खरवार लेई आवतां धाड़ आइ । जद कपड़ो ई ले जासी अनै ऊंट ई ले जासी । इम विचार तरवार सूं ऊंट फींचा काटी मार न्हांख्यौ । गृहस्थपणां री कांई बात ? बाकी म्हे तो घर छत थाळी भांगी नहीं ।
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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