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________________ १६ भिक्खु दृष्टांत ४०. का कितरा ने कं कितरा ? आऊवा मै नगजी सादूलजी रो बेटो बोल्यो - भीखणजी तस्सुत्तरी मै 'ता' कितरा नै 'तं' कितरा ? जद स्वामीजी बोल्या - भगवती मैं 'का' कितरा नै 'कं' कितरा नै 'खं' कितरा ? 'खा' 'कितरा ? 'गा' कितरा नै 'गं' 'कितरा' ? 'घा' कितरा नै 'घं' कितरा ? जब कष्ट हुवौ । ४१. एक भागां पांचू मागे ! किण ही पूछ्यौ भीखणजी थे यूं कही - एक महाव्रत भागां पांचू ई भाग यूं साथ पांचूंकि भागे ? 1 "जद स्वामीजी बोल्या - पाप रो उदो हुवै जद संसार मै इ जीव दुःख भोगवै । जिम एक भिख्याचर ने शहर में फिरता फिरतां पांच रोटी रो आटो मिल्यो । रोटी करवा लागौ । एक रोटी तौ उतार नै चूला लारै मेली । एक रोटी तवै सिकै। एक रोटी खीरै सिकै। एक रोटी रौ लोयो हाथ माहै । अन एक रोटी रौ लोगो कठोती मै पड़यौ । एक कुत्तो आयो सो कठोती मैं एक रोटी रौ लोयौ ते ले गयौ । तिण कुत्ता लारै भिख्यारी न्हाठौ । हेठी पड़ीयौ सो हाथ मांहिलौ लोयो धूळ मै वीखर गयो । पाछी आय देखे तो चूला लारै रोटी पड़ी हुंती ते मिनकी ले गई । तवै री तवै बळ गई । खीरै खीरे बळ गई । इण रीते एक महाव्रत भागां पांचू भाग जावे । 1 ४२. कठिनाई में भी अडोल स्वामी भीखणजीवीलाई पधार्या करै । आहार पाणी री संकड़ाई । जद स्वामीजी साधां नै कह्यौ - एक मासखमण इहां रहिवा रा भाव है । जद साधु बोल्या -- आहार पाणी री संकड़ाई घणी । घणं लोक आहार नहीं | जद स्वामीजी एक गौचरी तौ बारला गाम री करावै । एक गौचरी बड़े री। एक गौचरी महाजनां री करावे । सो स्वामीजी गौचरी उठ्या पण लोकां रे बंधवस्ती - भीखणजी नै एक रोटी देवै तौ इग्यारै समाई दंड री । जठ जाय जठे आहार- पाणी री जोगवाई पूछ्यां कहै - म्हे तो थानक समायककरां । 1 गाम मै लोक लुगाई धेष घणौं एक जागा आहार- पाणी री जोगवाई पूछ्यां ते बाई कहै -- म्हारी नणंद थांनक समाय करें । भीखणजी नै रोटी दीयां नणंद री समाइ गळ जावै । एहवी अंधी सरधा । 1 कठै भायदे देव, कठेइ बाई दे देवै । कितरायक दिन नीकळ्या । -
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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