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________________ भिक्खु दृष्टांत बांध, ऊपर छायां करी, लाल वस्त्र ओढाय पालखौ वणायो। पालखी रो वांस तौ लांक सहित वक्र पणे हुवै, तिण मै तो समझ नहीं, अन यां पालखौ वणायो ते पाधरौ वांस घाल । विपरीत पणे दीसै। एहवा पालखा मै राव ने वेसाण हवा खावा नीकळ्या। साथै मनुष आगै-पाछै घणा। गाम वारै आया। जब खेत कनै रूख री छायां विश्राम लियौ। जद करसणी बोल्याअठै मां बाळो रे, मा बाळो! छोहरा छोहरी बीहेला। ___जद त्यांरा चाकर सांथे हुंता ते बोल्या--मा बोल रे, मा बोल । रावजी है रे, रावजी। ___जद करसणी बोल्या-बूड़ गइ बात ! रावजी मर गया ! म्है तौ रावजी री मां जाणी थी। जद चाकरां करसण्यां नै कह्यो-जयपुर, जोधपुर, उदयपुर वाळा रे पालखी तिणसू यांरे इ पालखौ वणायौ है । सो रावजी अठै हवा खावा आया है। जद करसण्यां कह्यौ-डौळ सरीखो क्यं बणायो ? स्वामीजी कह्यौ-जैसो सिरोइ नां राव रौ पालखौ जिसो यां नवौ साधपणौ पचख्यौ है। पिण सरधा खोटी । जीव खवाया पुन सरध, सावद्य दान मै पुन सरधे, तिणसू समकत चारित्र एक ही नहीं । ८. जिसो संग, विसो रंग गुमानजी रौ साध दुर्गादासजी तिणनै भीखणजी स्वामी कह्यौ-म्है आधाकर्मी थांनक मै दोष बतावता, जद थे मानता नहीं। अनै अब उणांनै छोड्यां पछै थे इ थानक निषेधवा लागा। जद दुर्गादासजी बोल्या-रावण रा उमराव रावण नै खोटो जाणता था, पिण गोळी राम कानी वाहता। ज्यं उणां भेळा हंता, जद म्है पिण थानक न निषेधता । अनै थे थानक निषेधता जद म्है धेष करता। ९. सांकड़ा हता-हता हुसां गुमानजी रौ साध पेमजी, हेमजी स्वामी नै बोल्यौ–हेमजी ! तीन तूंबड़ा बधता हुंता ते आज फोड़ न्हांख्या। जब हेमजी स्वामी कह्यौ-उणां मांहि थी नीकळ नै नवौ साधपणौ पचख्या नै तौ घणा दिन थया, अनै तीन तूंबड़ा वधता आज परठ्या कहौ ते किण कारण ? जद पेमजी कह्यो-ढीला पड़िया था सो सांकड़ा हता-हता हुसां। पछै हेमजी स्वामी भीखणजी स्वामी नै कह्यो-महाराज ! आज पेमजी इसी बात कही-"ढीला पड्या सो सांकड़ा बता-हता हुसां।" __जद स्वामीजी बोल्या-थें यूं कह्यो क्यूं नहीं-किणही जावजीव शील
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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