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________________ हेम दृष्टांत ३३. गहरी दृष्टि भारमलजी स्वामी छोटी-छोटी लड़कियों को बतलाते हैं, सिखलाते है, चर्चा पूछते हैं । विशेष बात कर गुरुधारणा करवाते हैं । तब किसी ने कहा-महाराज ! छोटी बालिकाओं को विशेष बतलाते हैं, क्या इसमें कोई विशेष गुण है ? तब भारमलजी स्वामी ने कहा-ये बालिकाएं बड़ी होने पर श्राविकाएं होती लगती है । सुसराल और पीहर में बहुत लोगों को समझाएंगी। इनके समझने पर इनके पति, बेटे, बेटों की बहुएं, बेटियां, नाती, पोती इस प्रकार बहुत व्यक्तियों के समझने की सम्भावना है, इसलिए इनको विशेष बतलाते हैं। महापुरुषों की ऐसी गहरी दृष्टि, ऐसी उपकार करने की नीति । ३४. शंका हो तो प्रश्न पूछ लो पीपाड़ में वैणीरामजी स्वामी को देखकर चौथमलजी बोहरा बोला-भीखणजी ! अब तुम भी बालकों को दीक्षा देने लगे। स्वामीजी बोले- शंका हो तो चर्चा पूछ लो। तब उसने आकर पूछा-साधुजी ! मोक्ष कौन से गुण-स्थान में जाता है ? तब वणीरामजी स्वामी बोले-गुणस्थान में मोक्ष नहीं जाता है। गुणस्थान की अवस्था समाप्त होने पर मोक्ष जाता है। यह सुनकर प्रसन्न हुए।
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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