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________________ श्रावक दृष्टांत जद म्हैं कह्यो-म्हारै कर्म बारै। जद आसकरणजी को-कर्म बारै कठे है, आठ ही तोरणा मुसकल पाछौ जाय नै कहि आव म्हारै कर्म आठ हीज है। जद उ पाछौ आयनै बोल्यो म्हारै कर्म आठ है, बारै कह्या जिणरौ 'मिच्छामि दुक्कडं' है। जद चुतरोजी बोल्या-थारां गुरांर कर्म कितरा ? जद बोल्यो आ मौंने तो खबर नहीं। १२. कुंटणौ कठे है। सरीयारी नां बौहरोजी अने खींवसरैजी नै कोटा मै भेषधार्या रा श्रावक थानक मै ले गया। तिणनै भेषधार्यां पूछ्यौ-कठै रहौ ? जद बौहरोजी बोल्या-सरीयारी रहा छां। जद भेषधारी बोल्या-सरीयारी मैं तो ऊं भीखण चोर रहै छै। अठे आवै तो इसो कूटां । म्हारा साध ले गयौ। जद बोहरैजी कह्यौ-साध नै कूटणी कठे है। जद बोल्या-श्रावका कनै कूटावां। जद बौहरोजी बोल्या-श्रावका कनै पिण कूटावणां कठै है। भीखणजी साध न सरधै . जद उणारा श्रावक बोल्या-ऊंचा चालो इम कहि ऊंचा ले गया। ऐ देखौ गुलाब ऋष बेलै-बेलै पारणी करै, आटौ खाए चास मै घोल नै । गुलाब ऋष बोल्यौ–हूं बेलै-बेलै पारणौ करूं, आटौ खाऊ, चास मै घोल नै अनै सियाला मै एक अंचलौ ओढं तो पिण मौने भीखणजी साध न सरधै।। जद बौहरौजी बोल्या-म्हारै नीलीयो बळद है, थे तो आटौ खाऔ अनै ऊं आटो ई न खाए, चारो ईज चरै, थे तो अचंलौ ओढो हो अन ऊ औढे ई कोई नहीं उघाड़ो ईज रहै, इम साध हुवै तौ उण नै ई साध कहीये । जद गुलाब ऋष बोल्यौ-देखो-देखो मौन ढांढौ कहै । ___ जद बौहरौजी बोल्या-म्हैं तो ढांडो कोई कह्यौ नहीं थांरा मूंहढा सूं थे ही कहौ छौ। ० आवा रौ कहिणो कठे हैं । इतले फतैचन्द भेषधारी बोल्यौ-चरचा करणी है तो म्हां कानी आव। जद बोहरौजी बोल्यौ-आवा रौ कहिणौ कठे है। 'मिच्छामी दुक्कडं' दो । उणां कनै गयो थानक अधूरी लीप्यो देखनै बौल्यौ-पूरौ लीपायौ कोई नहीं।
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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