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________________ १९२ भिक्खु दृष्टांत उन्होंने घर वालों से कहा-आप लोग मेरे साथ ऐसा धोखा करते हैं मेरे त्याग का भंग करवा रहे हैं। तब लोगों ने कहा ... लगता है इन्हें भीखणजी का बोधपाठ मिल गया है । इक्कीस दिन तक शोभा यात्रा और भोज का कार्य संपन्न कर संवत् १८५३, माघ शुक्ला त्रयोदशी के दिन गांव के बाहर, वट वृक्ष के नीचे, हजारों मनुष्यों की उपस्थिति में बड़े उत्सव के साथ स्वामीजी के हाथों उनकी दीक्षा संपन्न हुई। इससे पूर्व स्वामीजी के संघ में बारह साधु थे, अब तेरह हो गए-हेमजी स्वामी तेरहवें साधु बने । उसके बाद संघ बढ़ता गया-संघ में वृद्धि होती गई। ___'बंकचूलिका' नामक प्रकीर्णक में कहा गया है कि सम्वत् १८५३ के बाद धर्म का बहुत-उद्योत होगा। वह बात हेमजी स्वामी की दीक्षा के साथ चरितार्थ हो गई । उन्हें दीक्षित कर स्वामीजी ने वहां से विहार कर दिया। उनकी दीक्षा के पश्चात् बहुत उपकार हुआ। १८०. एक मात्र भीखणजी स्वामी ही हैं टीकम डोसी कच्छ देश से पाली में आया। उसके अनेक विषयों में सन्देह उत्पन्न हो गया था उसे मिटाने के लिए। तब अन्य सम्प्रदाय के श्रावकों ने कहा-टोडरमलजी तुम्हारे सन्देहों का निवारण कर देंगे । तुम स्थानक में चलो। यह कहकर उसे स्थानक में ले गए। उसने टोडरमलजी से चर्चा की। उसे अपने प्रश्नों के सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिले । तब टीकम डोसी बोला-मेरे प्रश्नों का उत्तर देने वाले एक मात्र भीखणजी स्वामी ही हैं, कोई दूसरा मुझे दिखाई नहीं देता, यह कहकर वह अपने स्थान पर जा गया। कुछ दिनों बाद स्वामीजी मेवाड़ से मारवाड़ पधारे । पहले सिरियारी आए । वहां से प्रस्थान कर सम्बत् १८५९ का चातुर्मास प्रवास पाली में किया। टीकम डोसी ने स्वामीजी से अनेक प्रश्न पूछे ! स्वामीजी ने उनके उत्तर दिए। टीकम डोसी बोलाबंकचूलिका में कहा गया है, सम्वत् १८५३ के बाद धर्म का उद्योत होगा। इस वचन के अनुसार सम्वत् १८५३ से पूर्व साधु नहीं, ऐसी संभावना होती है। तब स्वामीजी ने कहा-संवत् १८५३ से पूर्व साधु नहीं होंगे, ऐसा वहां नहीं कहा गया । यह कहा गया है कि धर्म का बहुत उपगार होगा। इस दृष्टि से धर्म के उद्योत की बात कही गई है । सं० १८५३ से पहले उद्योत अल्प हुआ। उसके बाद उद्योत अधिक होगा। इस युक्ति से उसे समझा दिया। १८१. खामी बताए तो तेले का प्रायश्चित्त भारमलजी स्वामी बाल-मुनि थे, तब स्वामीजी ने कहा- 'कोई गृहस्थ खामी बतलाए, ऐसा काम तुझे नहीं करना चाहिए।" गृहस्थ खामी बतलाए वैसा काम यदि तू करेगा, तो तुझे एक तेले का प्रायश्चित्त करना होगा। तब भारमलजी स्वामी बोले-'यदि कोई झूठ-मूठ खामी बतला दे, तो ?" तब स्वामीजी ने कहा-"कोई झूठ-मूठ खामी बतलाए, तो समझ लेना पहले
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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