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________________ ११० भिक्ख दृष्टांत ____ जद ते बोली-कुत्ता नै न्हांख देसू पिण इणां कनां सूं तो उरहो लेसूं । इम कहि घी सहित घाट जबरी सूं उरही लीधी। अजबूजी ए बात स्वामीजी नै आय कही। - जद स्वामीजी घणा विमासवा लागा। पछै बोल्या-इण कळिकाळ मै नहीं पिण देवै, ना पिण कहै जाणनै असूझता पिण होवे, पिण देई नै उरहो लेवै ए बात तो नवीज सुणी। व्रजवासणी रा कहिण थी बात गाम मै फैली। उणरा धणी नै लोक कहै --हाटै तौ थे कमावौ नै घरे थांरी बहू कमाबै । ऊ पिण मन मै लाजै । थोरा दिनां पछै राखड़ी रे दिन तौ एकाएक बेटौ मर गयौ। थोड़ा दिनां मै धणी पिण मर गयौ। जद सोभजी श्रावक तुको जोड्यौ। बादर साह री दीकरी, कीकी थांरौ नाम । घाट सहित घी ले लियौ, ठाली कर दीयौ ठांम ? पछतावौ कितरायक काळ पछै उणरै घरे साध गोचरी गया । वहिरायवा लागी। साधां पूछयौ--थारो नाम कांई ? जद बोली-उवा हूं पापणी छु । आर्यां रा पात्रा माहि थी घाट लीधी ते। कोई तो परभव मै देखै म्है इण भव मै देख लीधा पाप ना फळ । इम कहि पछतावा लागी। २९२- सब घरां मै गोचरी क्यं नहीं जावौ सं० १८५६ नाथजीदुवारा मै हेमजी स्वामी, स्वामीजी ने कह्यौ-आंपै श्रावकां रे ईज गोचरी जावां अनुक्रम घरां री गोचरी जावां नहीं सो कारण कांई। जद स्वामीजी बोल्या-अठ द्वेष घणौ तिण सूं अनुक्रमे गोचरी न करां। , जद हेमजी स्वामी बोल्या-आप फुरमावौ तौ हूं जाऊं। जद स्वामीजी बोल्या-भलाइ जावौ। जद मोहनगढ़ मै गौचरी फिरतां एकण घरे गोचरी गया। पूछयौआहार-पाणी री जोगवाई है ? जद ते बाई बोली-रोटी लंण ऊपर पड़ी है। : जद हेमजी स्वामी मैडी ऊपर दूजो घर है तिहां गौचरी गया। ऊपरलै घर बाई ऊंधी अंवळी बोली-घणौ झोड़ कीधौ। पिण रोटी दीधी। घणी बेळा लागी। जद हेठली बाई जाण्यौ ए साध म्हारा इज दीसै । पाछा हेठा ऊतरतां बाई बोली-आप पधारौ आहार वहिरौ। इम कहि वहिरावा रोटी
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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