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________________ भिक्खु दृष्टांत अनै अजीव नै जीव सरधै तिण नै मिथ्यात्वी कह्या छै। इम थारे लेखै ठंडी रोटी मै जीव कहै त्याने मिथ्यात्वी कहीजै । इम उणां रै लेख उवे असाध अनै उणारे लेख उवे असाध । अनै मुख सू कहै म्हे माहोमाहि साध सरधां छां। एहवी त्यांरै मिथ्यात्व रूपीयौ अंधारौ घट मै छ। २४३. जोड़े ते आछो के तोड़े ते आछो किणही कह्यो-भीखणजी ! थे तो जोड़ा घणी करौ । जद स्वामीजी बोल्या-एक साहुकार रै दो बेटा 1 एक तौ जोड़े ने एक तोड़े गमावै । हिवे जोड़े ते आछौ, के तोड़े गमावै ते आछो ? संसार नै लेखे जोड़े तिणनै आछो कहै । तोड़े गमावै तिणनै आछौ न कहै। इम कहीं कष्ट कीधौ। २४४. यूं जोड़ा छां आगरीयां में प्रतापजी कोठारी बोल्यौ-स्वामीनाथ ! आप जोड़ा किसतरै करौ छौ। ___जद स्वामीजी एक टोपसी में सपेतो हुँतो इतलै बायरो वाज्यो । एहवौ प्रस्ताव देख नै आप गाथा जोड़ता थका ईज बोल्या न्हानी सी एक टोपसी माहे घाल्यौ सपेतौ। जत्न घणा कर राखजो। नहीं तो पड़ेला रेतो ॥१॥ ए गाथां जोड़ता बोल्या-यूं जोड़ा छां। जद प्रतापजी सुणनै घणौ राजी हुऔ। २४५. मोनै साता उपजावै - श्रीजीदुबारा मैं छपना रै वर्स एक दादूपंथी आयौ । स्वामीजी रौ बखांण सुणनै घणौ राजी हुऔ। सुणतां-सुणतां एक दिन स्वामीजी ने कहै-आप श्रावकां न कहो सो मोनै साता उपजावै ।... : ... ... ... .. :: .. :: जद स्वामीजी बोल्या-श्रावका नै कहिन तोनै जीमावौ, भावै पात्रा माहि थी काढ नैः देवी । ग्रहस्थ नै कहिणो हुवै तौ रोटयां बंधती वहिरनै ईज तोने परही देवां। .. ..... ::: . जद दादूपंथी बोल्यौ-तौ थारे श्रद्धा लोकां ने वरजवा री ना कहिवा री है।
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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