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________________ भिक्स दृष्टांत कै रुद्राछीमाला री है? जद नगजी बोल्यौ-शास्त्र मै चाल्यौ है सो मणीयो सोना रो हला लकड़ा रौ रुद्राछ रौ कीकर हुसी। वलि स्वामीजी पूछ्यौ रे नगजी ! 'साधवीयां नै जड़णौ चाल्यो' सो ए धवियां गाड़लिया लोहारां नी छोटी धवियां है के बीजा लौहारां नी मोटी धमणि ते मोटी धवियां है ? जद नगजी बोल्यौ- नान्हीं धवियां क्यांन हुवै महाराज शास्त्र मै कह्यौ है सो धवियां मोटी हुसी।। पछै स्वामीजी मन मै जाण लियौ सौ बुद्धि बिनां समगति किम हुवै । बीरभांणजी समदृष्टि कीयौ केहता, सो बात कची ठहरी । २२१. ओ पिण धर्म कहिणौ भेषधारी कहै-कोई नै रुपीया दीयां उणरी ममता ऊतरी तिण रौ धर्म हुऔ। ___जद स्वामीजी बोल्या-किण हि रे बीस हळ री तथा बीस बीघा री खेती हुँती सो दस बीघा तथा दस हळ री खेती किण ही ब्राह्मण नै दीधी तौ उण रै लेखै या पिण ममता ऊतरी । औ पिण धर्म तिणरै लेखै कहिणौ । २२२. थारे पिण बैठी दोस छै पाली मै हीरजी जती स्वामीजी दिशा पधारया जद साथै-साथै जाय । ऊंधी-ऊंधी चरचा पूछ । तिण री श्रद्धा-हिंसा मै धर्म १ सम्यक्त्वी ने पाप न लागै २ सर्व जगत रा जीव मारयां एक समों संसार बधै नहीं ३ सर्व जीव नीं दया पाळ्यां एक समों संसार घटै नहीं ४ होणहार हुवै ज्यूं हुवै करणी रौ काम नहीं, केवली देख्यौ जद मोक्ष परहौ जासी ५ इत्यादिक विरुद्ध श्रद्धा स्वामीजी कनै कहै । जद स्वामीजी पाछौ जाब दीधौ नहीं । मारग चालतां न बोलणौ जिण कारण। जद हीरजी बोल्या-म्हे कही जिकी श्रद्धा थोरै पिण बैठी दी है जिण सूं थे पाछौ जाव दीधौ नहीं। जद स्वामीजी बोल्या-कोई भंडसूरो भिष्टौ खातौ हौ । साहुकार दिशां जातो सेहजै दृष्टि पड़ी देखनै भंडसूरो बोल्यौ-साहजी रौ पिण मन हुऔ दी है। ____ ज्यूं थे पिण बोलो हो । पिण थांरी असुद्ध श्रद्धा भिष्टा समान जाणा छां सो मन करने इ बंछा नहीं।
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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