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________________ 198 JUTS वरंगचरिउ ता सायरविद्धहो चारुदेसु दिण्णउ महिरायइ वरपएसु। दिण्णउ कलेंग विसयहो सुरिद्धि वणि तणयहु लेहु भायरहो सिद्धि । पल्लव विसयहो मंतिय अणंत अजियहो विसालपुरि दिण्ण-दिण्ण पुणु देवसेण माल वरवण्ण । घत्ता- इय अप्पिवि देसु, विउलपएसु, करइ रज्जु महि राणउ। अक्खलिय पयाउ, विमलसहाउ, अच्छइ माणिणि माणउ ।।१४।। 15 इत्तहि णरवइ सुहु भुंजंतउ इक्क दिवसि अंतेउरि पत्तउ। दिण्णउ आसणु तहि जि णिविट्ठउ तियगणु आइवि सयलु वयट्ठिउ। हे पिय णिसुणहु धम्मरसायणु जिणवर भासिउ सुक्रवहो भायणु। कहहु धम्मु' सामिय दयसारउ सयलह जीवह दुक्ख णिवारउ। भणइ णरिंदु देवगुर तच्चइ सद्दहाणु जं किज्जइ सच्चइ। तं जि धम्मु दहविहु पुणु अंगइ देव दोसअट्ठारह रहियउ। गुरु जो णिग्गंथु वि तव सहियउ धम्मु सव्वजीवहु दय किज्जइ। जिण भासिय आयमु पभणिज्जइ दिढ धरियइ दंसणु सुहयारउ। वय-तव-संजमु सयलह सारउ एउ भणिवि जइ धम्मु पयासिउ। पुणु सायारधम्मु तहि भासिउ जो सावउ जिणवय परिपालयए सो जिण पडिमइ णिच्चु णिहालए। किज्जइ जिणवरभवणु रवण्णउ अइउत्तंगु सिहरु ससि वण्णउ। पुणु रिउरंधरंध तित्थंकर किज्जहि पडिमइ सयल सुहंकर। करिवि पयट्ठापूय रइज्जइ वसुविहदव्वसुयंधह किज्जइ। घत्ता- जिण पूय करंतह', भत्ति धरंतह', भवमलु सव्वु विणासए। णरु णिरुवम सुक्खइ, लहइ असक्खइ, सासय सुक्ख पयासए ।।१५।। 16 वरदत्तवयण वाला सुणेवि भो देव करहि पासाउ' इक्कु कारावहि जिणचउवीसबिंब जंपइ करजोडि अणुवम देवि । घणु छिवइ सिहरु णं गिरि गुरुक्कु। करिवरपइट्ट पियअहरबिंब। 15. 16. 1.N, धमु 2. A,K,N, दुख 3. A,K,N, करंतहं 4. A,K, N, धरंतहं 5. A,K,N,असंक्खइं 1. A,K, पसाउ
SR No.032434
Book TitleVarang Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumat Kumar Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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