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________________ (xv) समय के महाश्रमण मुनि मुदितकुमारजी (आचार्य महाश्रमण) ने मेरा बहुत सहयोग किया। मुनि धर्मेन्द्रकुमारजी का कथाओं के विषय में आवश्यक विमर्श और मुनि ऋषभकुमारजी का भी सतत सहयोग रहा, अतः वे दोनों साधुवाद के पात्र हैं। प्रस्तुत आध्यात्मिक ग्रन्थ के प्रति सहज ही लोगों में एक आकर्षण है। जनभावना को देखते हुए मैंने पुनः इसका अवलोकन और निरीक्षण किया। अब इसका नवीन तृतीय संस्करण सुधी पाठकों के हाथों में पहुंच रहा है। मुनि जितेन्द्रकुमारजी की तत्परता और त्वरता भी इस कार्य में सहभागी बनी है। अतः वे भी धन्यवाद के पात्र हैं। __ आचार्य महाप्रज्ञ का ९ मई २०१०, सरदारशहर गोठी भवन में आकस्मिक महाप्रयाण हो गया। उसके बाद तेरापंथ धर्मसंघ के यशस्वी, मनस्वी और महातपस्वी आचार्य महाश्रमण ग्यारहवें अधिशास्ता बने। उन्होंने ग्रन्थ के इस नवीन संस्करण के प्रति अपनी शुभाशंसा लिखकर मुझे उपकृत और अनुगृहीत किया है। मेरी मूक कृतज्ञता ही उनके प्रति सच्ची विनम्राञ्जलि है। वैराग्यरस से आप्लावित यह सरस लघुकृति जन-जन के मन में वैराग्यरस की स्रोतस्विनी प्रवाहित करे, इसी मंगलकामना के साथ.....। केलवा (राजसमन्द) २८ सितम्बर, २०११ शासनश्री मुनि राजेन्द्रकुमार
SR No.032432
Book TitleShant Sudharas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2012
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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