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________________ १. क्रिया-प्रतिक्रियावाद Inter-actionism २. निमित्तवाद Occasionalism ३. समानान्तरवाद Parallelism ४. पूर्व स्थापित सामंजस्यवाद . Pre-established Harmony निमित्तवाद (Occasionalism) इसका समाधान आरनॉल्ड म्यूलिक्स तथा निकोलस मेलेब्रान्स ने नये ढंग से किया। दोनों देकार्त के अनुयायी थे। इनका काल (१६२४-१६६९ ई. से १६३८-१७१५ ई.) है। इनके चिंतन का उद्देश्य था क्रिया-प्रतिक्रियावाद में आये दोषों का निराकरण किन्तु सफल नहीं हो सके। इन्होंने देकार्त के कार्यकारणवाद, लाइवनीज के पूर्व स्थापित सामंजस्य को मान्यता नहीं दी। उनकी धारणा थी-शरीर और आत्मा के रचयिता ईश्वर ने इस ढंग से रचना की है कि एक का प्रभाव दूसरे पर पड़ता है। इसमें कार्य-कारणवाद की अपेक्षा नहीं किन्तु समस्या का समाधान देनेवाला यह सिद्धांत भी निर्दोष नहीं रह सका। इस चिंतन के सामने प्रश्नचिह्न लग गया कि यदि ईश्वर ही सब-कुछ है तो मानवीय स्वतंत्रता एवं उत्तरदायित्व की कोई मूल्यवत्ता नहीं रह जाती। यदि आत्मा का ज्ञान और शरीर की गति-क्रिया का निमित्त ईश्वर के अतिरिक्त दूसरा कोई नहीं। इससे फलित होता है, मानव का अपना कुछ भी नहीं। दूसरा तथ्य यह है कि ईश्वर ही सर्वेसर्वा है। अन्याय, अनीति, पाप आदि का अस्तित्व क्यों? न्याय के साथ अन्याय, शुभ के साथ अशुभ, उचित के साथ अनुचित भी देखा जाता है। इस अराजकता और अव्यवस्था के परिवेश में ईश्वर के सर्वशक्तिमान होने की कल्पना कैसे की जाये? इन जिज्ञासाओं का समाधान ग्लूलिक्स और मेलेब्रान्स ने भले ही अपने ढंग से किया हो किन्तु सटीक एवं न्यायसंगत तथ्य नहीं होने से वे निमित्तवाद की रक्षा नहीं कर सके। किन्तु इतना कह सकते हैं देकार्त के द्वैतवाद को कमजोर कर स्पिनोजा के अद्वैतवाद की प्रशस्त भूमि तैयार करने में सफलता जरूर मिली है। समानान्तरवाद (Parallelism) (1 6 3 2 ई. से 1677 ई.) स्पिनोजा ने अपने ग्रंथ एथिक्स में कहा-देह और आत्मा पूर्ण रूप से स्वतंत्र द्रव्य नहीं हैं। दोनों का सम्बन्ध एक ही सत्ता से है। वह सत्ता है ईश्वर । उसने देकार्त के कार्य-कारण सम्बन्ध को भी अस्वीकार कर दिया। उसका .७८ - जैन दर्शन का समीक्षात्मक अनुशीलन
SR No.032431
Book TitleJain Darshan ka Samikshatmak Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNaginashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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