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________________ ३. मुक्त होना समस्त कर्मों से मुक्त हो जाना । गतिरहित हो जाना । ४. परिनिर्वृत होना ५. दुःखमुक्त होना जहां किसी प्रकार का दुःख नहीं रहता । मुक्त होने की अर्हता पर विचार करें तो मनुष्य दो प्रकार के होते हैंछद्मस्थ और केवली | जिनका ज्ञान आवृत है वह छद्मस्थ है। ज्ञानावरणीय आदि घाति कर्मों के क्षीण होने पर केवली बन जाते हैं। छद्मस्थ मुक्त नहीं हो सकता । केवल मुक्त होता है | मुक्त होने के लिये सर्वज्ञता अनिवार्य है। न्याय-वैशेषिक वाले सर्वज्ञता की अनिवार्यता स्वीकार नहीं करते। उनके अभिमत से मोक्ष जाने के बाद भी सर्वज्ञ योगियों में पूर्ण ज्ञान शेष नहीं रहता क्योंकि ज्ञान ईश्वरीय ज्ञान की तरह नित्य नहीं है। योगजन्य होने से अनित्य है। मुक्ति के लिये सर्वज्ञता आवश्यक नहीं, बल्कि क्लेशों का नाश होना आवश्यक है। सांख्य-योग की धारणा भी न्याय-वैशेषिक जैसी ही है। सांख्य के अनुसार मुक्ति का हेतु 'विवेक ख्याति' है। बौद्ध दर्शन में मोक्ष के लिये बोधि जरूरी है । उस वीतरागता से मुक्ति हो जाती है, सर्वज्ञता अनिवार्य शर्त नहीं है । जैन दर्शन इसका प्रबल समर्थक है कि मोक्ष के लिये सर्वज्ञ होना जरूरी है। प्रत्येक आत्मा में ईश्वरीय शक्ति विद्यमान है। कार्य-कारण की परम्परा चल रही है, उसका सर्जक पुरुष ही है। वही अपने प्रबल पुरुषार्थ के बल पर उस धारा को मोड़ भी सकता है। सर्वज्ञता प्राप्त कर सकता है। ५७ कर्मों से मुक्त होना ही मुक्ति है। संग्रहनय की अपेक्षा मुक्ति में भेद नहीं होता । ६ वह एक ही प्रकार की है किन्तु व्यवहार नय से द्रव्य और भाव ऐसे दो भेद हो जाते हैं। आत्मा से समस्त कर्मों का अलग हो जाना द्रव्य मोक्ष है । " कर्मक्षय में हेतुभूत आत्मा की विशुद्ध परिणाम धारा भाव मोक्ष है । ८ यही यथार्थ है । अनात्मभाव से मुक्त हो आत्मभाव में स्थित हो जाना मोक्ष है। यह सर्व मान्य है किन्तु मोक्ष प्राप्ति की योग्यता हर किसी में नहीं होती। उसकी पृष्ठभूमि कुछ हेतु अनिवार्य अपेक्षित हैं। जैसे - १. आर्य देश, २. उत्तम कुल, ३. उत्तम जाति, ४. त्रसत्व, ५. स्वस्थ शरीर, ६. आत्म- बल, ७. दीर्घायु, ८. मनुष्यत्व, मोक्ष का स्वरूप : विमर्श २२३०
SR No.032431
Book TitleJain Darshan ka Samikshatmak Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNaginashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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