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________________ Q OGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGO चतुर्थ अध्याय कर्मवाद; उसका स्वरूप और वैज्ञानिकता UIGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGO भारतीय दर्शन में कर्म मनोविज्ञान एवं कर्म • कर्म की विभिन्न अवस्थाएं • कर्मों की विपाक प्रक्रिया • आधुनिक विज्ञान एवं कर्म • कर्मशास्त्र और शरीर विज्ञान • आत्मा का आन्तरिक वातावरण, परिस्थिति के घटक • जैन कर्मवाद, समन्वयात्मक चिन्तन • कर्मवाद किसका समर्थक, नियतिवाद या पुरुषार्थवाद ? • कर्मवाद का इतिहास . जैन कर्म सिद्धांत और उसका विकास • जैन कर्मवाद की लाक्षणिक विशेषताएं • क्लोनिंग तथा कर्म सिद्धांत • कर्म सिद्धांत और क्वान्टम् यांत्रिकी • जैन कर्म सिद्धांत की छः अवधारणाएं OUVIGOGO GUT ZUIGUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUIO OOUUUUUUUUGGGGGGGGGGGGGGGGGO
SR No.032431
Book TitleJain Darshan ka Samikshatmak Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNaginashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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