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________________ १०. दीक्षा दिन स्यूं ही चढ्यो रे, सुजना! मघया-कर खरसाण। बो हीरो अब परखसी रे, सुजना! जौहरी डाल सुजाण।। ११. शहर लाडनूं स्यूं सही रे, सुजना! आया पुर बीदाण। माघमहोत्सव रो जठै रे, सुजना! मंजुल-सो मंडाण।। 'गहरो दिल गुरुदेव रो। आकर्षक फूल गुलाब समाण।। १२. गणपाल डाल अब एकदा, आछो-सो अवसर झांक, सुजाण! गहरो दिल गुरुदेव रो।। विकसित चित आमोद में, खिलि पदम-पांख सी आंख, सुजाण! गहरो दिल गुरुदेव रो।। १३. पूछ सम्बोधन करी, धन्ना-सुत' नै इक बात, सुजाण! ____ माणक सुरपुर संचऱ्या, तजि तीरथ च्यार अनाथ, सुजाण! १४. नाम निपट म्हारो चुण्यो, क्यूं हिलमिल सकल समाज? सुजाण! म्हारी राय लियां बिना, क्यूं कीन्हो भारी काज? सुजाण! १५. मगन सघन विस्मित बण्या, सुण अजब प्रश्न ओ आज, सुजाण! गजब कला गुरुदेव री, किणरो लागै अन्दाज? सुजाण! १६. भाग सिकन्दर संघ रो, सारां री एक अवाज, सुजाण! सप्तम शासन-साहिबा! ओ निश्चित म्हांनै नाज, सुजाण! १७. इणमें सहमति आपरी, आवश्यक है न लिगार, सुजाण! अब अनुमति हर काम में, लेस्यां गुरु! बारंबार, सुजाण! १८. बोलै मुनिपति मलपता, मैं नहिं करतो स्वीकार? सुजाण! म्हारै मन पर तो सदा, है म्हारो ही अधिकार, सुजाण! १६. तो किणनै थे थापता? नहिं तर्क-फर्क रो काम, सुजाण! सीधी बात बतायद्यो, ननु-नच रो न सुणूं नाम, सुजाण! २०. विवश मगन गुरु-चरण में, है खोल्यो अंतर भेव, सुजाण! श्री कालू नै सूपता, दिल-निरणो ओ गुरुदेव! सुजाण! १. लय : गहिरो जी! फूल गुलाब रो २. मुनि मगनलालजी ३. आचार्यश्री डालचन्दजी . २ / कालूयशोविलास-१
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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