SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 355
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शिखा १ शिखा २ सुगणा ! खमाविये तज खार। ध्रुव. सप्त लक्ष जाती पृथिवी नी, सप्त लक्ष अपकाय। इत्यादिक चउरासी लख जे जीवा योनि खमाय।। सुगणा! खमाविये तज खार। माढ-मरुधर म्हां रो देश म्हांनै प्यारो लागै जी। गंगासिंह नरेश म्हांनै प्यारो लागै जी।। मरुधर... ध्रुव. धोळा-धोळा धोरा म्हार चांदी की सी रेत। चम-चम चमकै चांदणी में ज्यूं सोने रा खेत।। म्हांनै प्यारो लागै जी। शिखा ३ राख नां रमकड़ा म्हारे रामे रमता राख्या रे।। शिखा ४ लक्ष्मणजी इम वीनवै, राघव स्यूं कर जोड़। कां ए ताड़ातोड़ नहिं सीता में खोड़, साच कढाऊं चोड़।। ध्रुव. पाणी में पत्थर तिरै, पश्चिम दिशि दिनकार। ऊगै तो सही जाणिये, सीता न लोपै कार।। लक्ष्मणजी।... नोट-तारांकित पद्य उसी गीत के वैकल्पिक पद्य हैं। परिशिष्ट-३ / ३५१
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy