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________________ येन सहाश्रयसेऽतिविमोहादिदमहमित्यविभेदम् तदपि शरीरं नियतमधीरं त्यजति भवन्तं धृतखेदम् ।। विनय! १/१० भविकां ! मिथुन उपर दृष्टंत कहै जिन शान्ति जी रे लोय ! ध्रुव. भविकां ! विषय न सेवो बिरुवो दुखदायी घणो रे लोय ! भविकां ! क्षेत्र भरत मां नलपुर नयर सुहामणो रे लोय ! भविकां... अन्तर ढाळ १/१० स्वामीजी ! थारी बा मुद्रा जग ख्यात। ५/१५, ६/६ वज्रासन में बैठा दीपो, हो जोड्यां जुग हाथ ।।स्वामीजी ! ध्रुव. शान्तमना अश्रान्त मनोबल, नत कंधर स्थिर गात। मुद्रित-लोचन संकट-मोचन, मंगल परम प्रभात।। स्वामीजी ! अन्तर ढाळ १/१०,१/१३ कीड़ी चाली सासरै रे, मण-मण काजल सार। २/४ आधो काजल घूघटे रे, आधो काजल बार।। करेलण घड़ दै ए। तुं तो घड़ दै नी असल गिवार, करेलण घड़ दै ए।। १/११ वीरमती कहै चंद नै, वैसी नै एकत्र। चिंता रखे धरतो किसी, हूं छू तांहरै छत्र ।। वीरमती कहै चंद नै... १/१२ भूमीश्वर अलवेश्वर कानन फेरै तुषार। वन श्वापद करया आकुला, तरु-तरु थया असवार।। भूमीश्वर... १/१४ आज आनन्दा रे। ध्रुव. शुभ वेळा शुभ मुहूर्ते, आनन्दा रे, जायो सुत जयकार क। आज आनंदा रे! नृप सुण तन मन हुलस्यो, आनन्दा रे, दीसे बधाई सार क।। आज आनंदा रे।। १/१५ सायर लहर स्यूं जाणै जी मींडक कूप नो, कुबज्या सुपरिणामे जी गुण रती रूप नो। नाळेरां नहिं दीठा जी थळिया बापड़ा, तस दाढ़े लागै मीठा जी काचर चीबड़ा।। ३३२ / कालूयशोविलास-१
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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