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________________ लावणी छंद २८. मुनि दुलीचंद बुधमल मामा-भाणेजा, शुभकरण रामजी तारानगर सहेजा। बुध-मां जड़ाव, लिछमां मक्खू सुंदरजी, चोथां नोजां संतोकां रतनकंवरजी। मा. कृष्ण गणेशां रतनकंवर चन्देरी, सुद पख भगवानो पूनम गंगासेरी। बा सती मोहनां तीनूं भ्रमण विदारे, तीजे उल्लासे दीक्षा-व्रत स्वीकारे।। २६. सुवटां तिण पुर री फागुण बिद बीदाणे, अरु जेठ मास नृपगढ़ निम्नोक्त प्रमाणे। भत्तूजी पानकंवरजी रायकंवरजी, अब नय्यासिय पावस सरदारशहर जी। तेरह जण संयम जीवराज धुर जाणो, संपत केशर तस सुत दुहिता पहचाणो। तारो सोहन सर' गज्जू हरस बधारे, तीजे उल्लासे दीक्षा-व्रत स्वीकारे ।। ३०. पारवतां मां किस्तूरां लघु-वय बेटी, सुगनांजी अरु नाथां भव-भ्रमना मेटी। लिछमां रामूजी मोमासरी मनोरां, कार्तिक सुद तेरस बलि त्रिण तऱ्या सतोरां। हनुमान और जयचन्द शहर-सरदारी, मूलां गज्जू री मां कृपया गुरु तारी। अब श्री डूंगरगढ़ गुरुवर रै ननिहारे, तीजे उल्लासे दीक्षा-व्रत स्वीकारे।। ३१. मा. सुद पख नेमू मनहर, फूलकुमारी, पूनम पृथ्वी झूमर फागुण व्रतधारी। कइ प्रौढ़ तरुण सुकुमार सुहागण नारी, संयम धर विकसित की शासन-फुलवारी। हतभाग हमीर जोरजी जिस्या भटकग्या, कर्मोदय भव-सागर अधबीच अटकग्या। तीजे उल्लासे ढाळ सोलमी गा रे, है वर्धमान मुनिगण कालू-बरतारे।। १. लूणकरणसर २४८ / कालूयशोविलास-१
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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