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________________ २५. कालू पूज्य कृपाल, समिति पंचमी जावतां । निकट उपाश्रय भाल, पावन पद पंकज ठव्या ।। 'पूज्य पथ साचो रे । २६. मारग वर बीकाण रो रे, बही रूणियावास । कालू सर? छव पांच दिन रे, कीन्हो सुगुरु निवास । । २७. डूंगरगढ़ बड़भागियो रे, पूज्य पदार्पण यत्र । श्रमण-सती है सैकड़ां रे, दर्शन-हित एकत्र । । २८. श्रावक समुदय सामठो रे, मोच्छब - विनय-निमित्त । राणाजी पिण बावरा रे, आया हुलसित चित्त । । राणाजी आया बाव स्यूं चलाई, है साथ में दलाल चूनी भाई । मकरंद में ज्यूं मधुप लुभाई ।। २६. एक ओर गुरु मध्य बजारे, जोर जुलूस सझाई। राणाजी... एक ओर राणा सजधज के, सन्मुख प्रणमै आई ।। राणाजी... ३०. चूनो सहज झुकै गुरु चरणां, कहै राण मुसकाई । बणिया! हट अमनै करवादै, तूं तो करै सदाई ।। ३१. भाव-विभोर वंदना साझै, धरणी लग सिर नाई । घणां दिनां री दिल री आशा, आज सफलता पाई ।। ३२. समवसरण में सावण - घन ज्यूं, प्रवचन - झड़ बरसाई । " सुण राणो अतिशय उलसाणो, विनय करै विरुदाई ।। ३३. धन्य-धन्य है देश थळी नै, सतयुग-सी छवि छाई । सारो गुर्जर देश बिचारो तरसै दरसण तांई ।। ३४. पूज्य ! पधारो म्हांरो पुर भी, मांगै गुरु-वच साई । सन्त-सत्यां रो तो चोमासो, फरमाओ हमणांईं । । ३५. राणाजी री इं अरजी स्यूं, मंजूरी फरमाई । पोष मास में पावस बकस्यो, सती हुलास बुलाई ।। १. लय : राजा राणी रंग थी रे २. लूणकरणसर ३. लय : मुनिवर नै आपो झुंपड़ी आपां री उ.३, ढा. १३ / २३३
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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