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________________ ३५. निम्नस्तर रा लेख, पेंफलेट अरु पुस्तिका। द्वेषभाव उद्रेक, सारी सीमा लांघ दी।। ३६. तेरापन्थी लोक, आखिर बो साहित्य ले। अवसर वर अवलोक, भेंट कियो दरबार-कर।। ३७. बीकानेर नरेश, अरे! बड़ो अन्याय ओ। लज्जा रो नहिं लेश, निज कर स्यूं लिख मुकरणो।। ३८. कीन्हो नरपति कोप, फिर तीनूं भेळा किया। ___एक-एक आरोप, प्रबल जांच पड़ताल की।। ३६. रद्द कियो इकरार, अटल न्याय आखिर कियो। धूज्या सब सुणणार, सिंघ-गर्जना-सी करी।। ४०. देश-निकाळा दोय, जब्त कियो साहित्य सो। ___और मुचलका होय, करी कड़ी चेतावनी।। ४१. रह्या प्रभावित राज, तेरापथ री नीति स्यूं। शांतिभाव शुभ साझ, कीन्ही धर्मप्रभावना।। ४२. बोलै नृप बीकाण, थे अपणे सत्पथ चल्या। तिणरो ओ फल जाण, परतख इज्जत पेखल्यो।। ४३. राजवर्ग रा लोक, जो आया इण चक्र में। पाई पावांधोक, आजीवन नहिं भूलसी।। ४४. आंकीज्यो इतिहास, राजगजट बीकाण रो। सहज हुसी आभास, कालू पुण्य-प्रभाव रो।। समता रो सुरतरियो हो, मनगमता फल दै सर्वदा। ४५. भारी संगर माच्यो हो, अणजाच्यो नाच्यो व्यंतरो, रग-रग राच्यो विद्वेषी दिल व्यंग। जय जग जीवन प्यारा हो, रखवारा सारै संघ रा, बिन हथियारां सहज्यां जीत्यो जंग।। १. महाराज गंगासिंहजी के विदेश जाने के बाद प्रतिपक्ष की ओर से निम्नस्तर का साहित्य प्रकाशित कर वितरित किया गया। २. देखें तेरापंथ का इतिहास (खंड १) पृ. ४३५-४४० ३. लय : महिला रो मेवासी हो लसकरियो १८२ / कालूयशोविलास-१
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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