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________________ पूज्य गुरुदेव की कीर्ति का पार पाना न विद्वानों के लिए संभव है और न देवों के लिए। पर संभवतः उनके शिष्यत्व का गौरव मुझे उनके यशस्वी जीवन के अवगाहन में सक्षम बना दे। उपसंहतिः आचार्य-तुलसी-विरचिते श्री-श्री-कालूयशोविलासे १. श्रीकालूस्वामिनः पुण्यातिपुण्यसमये जन्मधारण... २. बाल्यवयसि भववैरस्यौदासीन्यदर्शन... ३. श्रीभैक्षवगण-पंचमाचार्यमघव-पूज्यसमीपे संयमश्रीस्वीकरण... ४. श्रीमघव-माणिक्य-डालचंद-गणेन्द्रैः सह शिष्यत्वेन बहुवर्षपर्यन्तविहरण... ५. रस-रस-निधि-चन्द्राब्दे भाद्रपदशुक्लपूर्णिमायां श्रीडालिमपूज्यपदाधि कारित्वस्वायत्तीकरण... ६. चतुर्वर्षपर्यन्तमाचार्यपदे निजनिमलचरणयुगलन्यासेन महीतलपावनीकरण समुदित-दीक्षा- विवरणरूपाभिः षड्भिः कलाभिः समर्थितः षोडशगीतिकाभिः संदृब्धः समाप्तोऽयं प्रथमोल्लासः । ११२ । कालूयशोविलास-१
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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