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________________ 356 जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद ed. by Ācārya Mahāprajña, English translation by Mahendra Muni & Nathmal Tatia with Prakrit Text in Roman Script, English Translation of the text and Ācārya Mahāprajñā's Bhāsya, Jain Vishva Bharati, Ladnun, Rajasthan, Vol.-I, 2005. (b) आगमेतर जैन ग्रन्थ आदिपुराण (जिनसेनविरचित)-संपा. पन्नालाल जैन, हिन्दी अनुवाद परिशिष्ट आदि सहित, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, दिल्ली, प्रथम भाग, [प्रथम संस्करण, 1950], तृतीय संस्करण, 1988. गोम्मटसार (नेमिचन्द सिद्धान्तचक्रवर्ती विरचित)-संपा. ए.एन. उपाध्ये और कैलाशचन्द शास्त्री, संस्कृत टीका, जीवतत्त्वप्रदीपिका, हिन्दी अनुवाद और परिचय सहित, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी, खण्ड 1-2 (जीवकाण्ड) 1978-79, खण्ड-1-2 (कर्मकाण्ड) 1980. तत्त्वार्थसूत्र (उमास्वाति/उमास्वामी विरचित)-स्वोपज्ञभाष्ययुतं, जैन श्वेताम्बर __ संस्था, रतलाम, 1936. तत्त्वार्थसूत्र-जैनागम-समन्वय-समन्वयकर्ता आत्मारामजी महाराज (पंजाबी), जैनागम मूलपाठ, संस्कृत छाया, भाषा टीका सहित, लाला शादीराम गोकुलचंद जौहरी, चांदनी चौक, देहली, 1934. तत्त्वार्थवृत्ति (श्रुतसागरसूरि विरचित)-संपा. महेन्द्रकुमार, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली [प्रथम संस्करण, 1949], तृतीय संस्करण, 2002. तत्त्वार्थवार्तिकम,राजवार्तिक (अकलंकदेवविरचित)-संपा. महेन्द्रकुमार जैन, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, भाग-1, [प्रथम संस्करण, 1953-57], तृतीय संस्करण, 1989, भाग-2, द्वितीय संस्करण, 1990. पंचास्तिकाय (कुन्दकुन्दाचार्यविरचित)-श्री टोडरमल स्मारक भवन, जयपुर, 1984. -संपा. एवं हिन्दी अनुवादक-पन्नालाल बाकलीवाल, तत्त्वदीपिकातात्पर्यवृत्ति-बालावबोधभाषेति टीकात्रययुक्त, श्री परमश्रुत प्रभावक मंडल, आगास, गुजरात, [प्रथम संस्करण, 1905], पंचम संस्करण, 1998.
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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