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________________ टिप्पण (Notes & References) III. प्रवचनसारोद्धार, गाथा 731-33 निग्गंथ सक्कं तावस, गेरूय आजीव पंचहा समणा । तम्मि निग्गंथा ते जे जिणसासणभवा मुणिणो ।। 731 सक्का य सुगय सीसा, जे जडिला ते उ तावसा गीया । जे उ धाउरवत्था तिदंडिणो गेरुआ ते उ ।।732 गोसालगमयमणुसरंति भन्नंति ते उ आजीवा । समणत्तणेण भुवणे, पंचवि पत्ता पसिद्धिमिमे ।। 733 473-1. उत्तराध्ययन, 12.16, 17.1, 21.2 अवि एयं विणस्सउ अन्नपाणं, न य णं दाहामु तुमं नियंठा ।।12.16 जे के इमे पव्वइए नियंठे । 17.1 निग्गंथे पावयणे, सावए से विकोविए 121.2 II. दशवैकालिक, जिनदासचूर्णि, पृ. 111 निग्गंथग्गहणेणं साहूण णिद्देसो कओ । III. दशवैकालिक, हारिभद्रीया टीका, पृ. 116 ‘निर्ग्रन्थानां' साधूनाम् । 474-1. सूत्रकृतांग, II.6.42 णिग्गंथधम्मम्मि II. भगवती, 9.33.177 निग्गंथे पावणे III. ज्ञाताधर्मकथा, I. 1. 101 निग्गंथं पावयणं 475. सप्तम स्तम्भ लेख, देहली टोपरा संस्करण, 26वीं पंक्ति पृ. 108 (प्राचीन भारतीय अभिलेख संग्रह, खण्ड-1 (प्राक् गुप्त युगीन ) से उद्धृत) .....नगठेसु पि मे कटे इमे वियापटा होहति । 476. आचारचूला, 15.778 ( ब्या. प्र . ) से णिग्गंथे, जे य मणे अपावए । 327 477. सूत्रकृतांग, 1.16.6 एत्थ वि णिग्गंथे-एगे एगविदू बुद्धे संछिण्णसोए सुसंजए सुसमिए सुसामाइए आतप्पवा दपत्ते विऊ दुहओ वि सोयपलिछिण्णे णो पूयासक्कारलाभट्ठी धम्मट्ठी धम्मविऊ णियागपडिवण्णे समियं चरं दंते दविए वोसट्टकाए 'णिग्गंथे' त्ति वच्चे। 478. दशवैकालिक अवचूर्णि, पृ. 59 निग्गंथाणं ति विप्पमुक्कतानिरूविज्जति ।
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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