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________________ 291 टिप्पण (Notes & References) जए इ वा, जंतू इ वा, जोणी इ वा, संयभू इ वा, ससरीरी इ वा, नायए इ वा, अंतरप्पा इ वा, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते जीवत्थिकायस्स अभिवयणा।। 265. भगवती 2.1.15 जम्हा जीवे जीवति, जीवत्तं, आउयं च कम्मं उवजीवति तम्हा जीवे त्ति वत्तव्वं सिया। • 266. प्राणाः द्वि त्रि-चतुः प्रोक्ता, भूतास्तु तरवः स्मृताः। जीवाः पंचेन्द्रियाः प्रोक्ताः शेषाः सत्त्वा उदीरताः।। 267. भगवती, 2.1.15 ...गोयमा! जम्हा आणमइ वा, पाणमइ वा उस्ससइ वा, नीससइ वा तम्हा पाणे त्ति वत्तव्वं सिया। जम्हा भूते भवति भविस्सति य तम्हा भूए त्ति वत्तव्वं सिया। जम्हा जीवे जीवति, जीवत्तं, आउयं च कम्मं उवजीवति तम्हा जीवे त्ति वत्तव्वं सिया। जम्हा सत्ते सुभासुभेहिं कम्मेहिं तम्हा सत्ते त्ति वत्तव्वं सिया। 268. भगवती, 2.10.135 आगासत्थिकाय-जीवत्थिकाय-पोग्गलत्थिकाया वि एवं चेव, नवरं-तिण्हं पि पदेसा अणंता भाणियव्वा। 269. भगवती, 2.1.15 जम्हा तित्तकडूकसायंबिलमहुरे रसे जाणइ तम्हा विष्णु त्ति वत्तव्वं सिया। जम्हा वेदेति य सुह-दुक्खं तम्हा वेदे त्ति वत्तव्वं सिया। 270. भगवती अभयदेववृत्ति, वृत्ति पत्र 776-77 'चेय' ति चेत्ता पुद्गलानां चयकारी चेतयित। वा 'जेय त्ति जेत्ता कमरिपूणाम् 'आय' त्ति आत्मा नानागतिसततगामित्वात् 'रंङ्गणे' त्ति रंङ्गणं-रागस्तद्योगाद्रङ्गण 'हिडुए' त्ति हिण्डुकत्वेन हिण्डुकः, 'पोग्गले' त्ति पूरणाद्गलनाच्च शरीरादीनां पुद्गलः, 'माणव' त्ति मा-निषेधे नवः-प्रत्यग्रो मानवः अनादित्वात्पराण इत्यर्थः 'कत्त' ति कर्ता कारकः कर्मणां 'विगत्त' त्ति विविधतया कर्ता विकर्ता विकर्तयिता वा छेदकः कर्मणामेव 'जए' त्ति अतिशयगमनाज्जगत् 'जंतु' त्ति जनना ज्जन्तुः 'जोणि' त्ति योनिरन्येषामुत्पादकत्वात् 'संयभू त्ति स्वयंभवनात्स्वयम्भूः 'ससरीरि' त्ति सह शरीरेणेति सशरीरी 'नायए' त्ति नायकः-कर्मणां नेता 'अंतरप्प' त्ति अन्तः-मध्यरूप आत्मा न शरीररूप इत्यन्तरात्मेति।। 271. षट्खण्डागम-धवलाटीका, 1.2.1-2 गाथा 81-82 जीवो कत्ता य वत्ता य पाणी भोत्ता य पोग्गलो। वेदो विण्हू सयंभूय सरीरी तह माणवो।। सत्ता जंतू य माणी य माई जोगी य संकडो। असंकडो य खेतण्हू अन्तरप्पा तहेव य।।
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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