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________________ टिप्पण (Notes & References) 273 तस्मादप्यहंकारात्षोडशको गण उत्पद्यते...तथा वैशेषिका अपि भूतान्यभिहितवन्तः, तद्यथा-पृथिवीत्वयोगात्पृथिवी, सा च परमाणुलक्षणा नित्या...आकाशमिति परिभाषिकी संज्ञा एकत्वात्तस्य, ...एवमन्यैरपि वादिभिर्भूतसद्भावाश्रयणे किमिति लोकायतिकमतापेक्षया भूतपञ्चकोपन्यास इति? उच्यते सांख्यादिभिर्हि प्रधानात्साहंगरिकं तथा कालदिगात्मादिकं चान्यदपि वस्तुजातमभ्युपेयते, लोकायतिकैस्तु भूतपञ्चकव्यतिरिक्तं नात्मादिकं किञ्चिदभ्युपगम्यते...इति।। 195. सांख्यकारिका,1 दुःखत्रयाभिघाताज्जिज्ञासा तदभिघातके हेतौ। दृष्टे साऽपार्था चेन्नैकान्तात्यन्ततोऽभावात्। 196. आचारांगसूत्र, I.1.1.2-5 एवमेगेसिं णो णातं भवतिअत्थि मे आया ओववाइए णत्थि मे आया ओववाइए, के अहं आसि के वा इओ चुओ इह पेच्चा भविस्सामि?2 सेज्जं पुण जाणेज्जा-सहसम्मुइयाए, परवागरणेणं, अण्णेसिं वा अंतिए सोच्चा, तं जहा-पुरित्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, दक्खिणाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, पच्चत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमसि, उत्तराओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, उड्डाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, अहे वा दिसाओ आगओ अहमंसि, अण्णयरीओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, अणुदिसाओ वा आगओ अहमंसि । एवमेगेसिंजंणातं भवइ-अस्थि में आया ओववाइए। जो इमाओ दिसाओ अणुदिसाओ वा अणुसंचरइ, सव्वाओ दिसाओ सव्वाओ अणुदिसाओ जो आगओ अणुसंचरइ सोहं ।4 से आयावाई, लोगावाई, कम्मावाई, किरियावाई 15 .. 197. सूत्रकृतांग, II.1.25-26 ......इह खलु पंचमहब्भूया जेहिं णो कज्जइ किरिया इ वा अकिरिया इ वा सुकडे इ वा दुक्कडे इ वा कल्लाणे इ वा पावए इ वा साहू इ वा असाहू इ वा सिद्धि इ वा असिद्धि इ वा णिरए इ वा अणिरए इ वा, अवि अंतसो तणमायमवि ।।25 तं च पदोद्देसेणं पुढोभूतसमवायं जाणेज्जा, तं जहा-पुढवी एगे महब्भूते, आऊ दुच्चे महब्भूते, तेऊ तच्चे महब्भूते, वाऊ चउत्थे महब्भूते, आगासे पंचमे महब्भूते, इच्चेते पंच महब्भूया अणिम्मिया अणिम्माविया अकडा णो कित्तिमा णो कडगा अणादिया अणिधणा अवंझा अपुरोहिता सतता सासया।।26 198. उत्तराध्ययन, 5.5-7 जे गिद्धे कामभोगेसु, एगे कूडाय गच्छई। न मे दिट्टे परे लोए, चक्खुदिट्ठा इमा रई।।। हत्थागया इमे कामा, कालिया जे अणागया। को जाणइ परे लोए, अत्थि वा नत्थि वा पुणो? ।।6 जणेण सद्धिं होक्खामि...।।7
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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